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गंगा की निर्मलता एवं अविरलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जो भगीरथ प्रयास में सबका सहयोग जरूरी है

मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में किया 918.94 करोड़ रूपये की योजनाओं का शिलान्यास

 
हरिद्वार (प्याउ)। गंगा की निर्मलता व अविरलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चलाये जा रहे भगीरथ प्रयासों को मुकाम पर पंहुचाने के लिए जनता के व्यापक सहयोग की नितांत जरूरत है। यह आवाहन उत्तराखण्ड के  मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्रीय राज्य मंत्री जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय, भारत सरकार डाॅ. सत्यपाल सिंह की उपस्थिति में नमामी गंगा के सन्दर्भ में कही। 19 दिसम्बर को इस अवसर पर ऋषिकुल आॅडिटोरियम, हरिद्वार में 918.94 करोड़ रूपये की 34 योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण किया। जिसमें 906.11 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास एवं 12.83 करोड़ के लागत की योजनाओं का लोकार्पण शामिल है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि गंगा की निर्मलता एवं अविरलता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो भगीरथ प्रयास किये हैं, उनके इन प्रयासों को सार्थक करने के लिए सबका सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें प्रयास करने होंगे कि हिमालय से निकलने वाले 26 हजार जल स्रोतों की निर्मलता बनी रहे।

उन्होंने कहा औद्योगिक संस्थानों, गंगा के तट पर बसे गांवों के कूड़े-कचरे, कृषि में प्रयुक्त हो रहे केमिकल्स एवं कपड़ों के प्रयोग से  गंगा अधिक प्रदूषित हो रही है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि गोमुख से गंगा सागर तक गंगा के 2500 किमी के प्रवाह को अविरल एवं निर्मल बनाये रखने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को आगे आना होगा और नमामि गंगे योजना को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना होगा।

उन्होंने कहा कि गंगा की स्वच्छता के लिए चिन्तन करने की जरूरत है, विचारधारा को परिवर्तित करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि गंगा की निर्मलता के लिए देश में  नमामि गंगे के तहत अनेक सेमिनार एवं संगोष्ठियां आयोजित की गई, जिसमें लोगों के अनेक सुझाव प्राप्त हुए। सुझावों में अस्थि विसर्जन कर गंगा में प्रवाहित करने के बजाय अस्थियों को किसी एक स्थान पर स्थापित कर उसके ऊपर वृक्ष लगाकर उसमें गंगा का जल प्रवाहित करने जैसे महत्वपूर्ण सुझाव भी मिले। जो पौधा अपने पूर्वजों के नाम से रोपा जायेगा उनमें पूर्वजों की छाया देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे योजना शत प्रतिशत केन्द्र पोषित योजना है। यदि समाज का प्रत्येक व्यक्ति गंगा की स्वच्छता में अपना योगदान दे तो गंगा जल्द ही अपने पुराने अविरल एवं निर्मल स्वरूप में आ जायेगी।

राज्य मंत्री जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय, भारत सरकार डाॅ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शपथ लेते ही  गंगा के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए  नवीन गंगा मंत्रालय की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गंगा ने अनेक सभ्यताओं एवं संस्कृतियों को जन्म दिया। गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता बनाए रखने के लिए केन्द्र सरकार से धन की कभी कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा को पवित्र बनाने के लिए सबको संकल्प लेना होगा।

डाॅ. सत्यपाल ने कहा कि गंगा की स्वच्छता के अभियान में सभी को जोड़ना जरूरी है। गंगा स्वच्छता अभियान के लिए एक-एक दिन, एक-एक घण्टा जरूरी है। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण देश में नमामि गंगे के लिए सबसे पहले उत्तराखण्ड को चुना गया है, जहां सर्वाधिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं। उत्तराखण्ड की ये परियोजनाएं सम्पूर्ण भारत को बड़ा संदेश देगी। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के कार्यों की पेयजल मंत्री के स्तर पर प्रत्येक सप्ताह एवं अधिकारियों के स्तर पर प्रत्येक दिन की समीक्षा करना जरूरी है।
पेयजल मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि नमामि गंगे योजना को सफल बनाने के लिए समाज का पूर्ण सहयोग जरूरी है। गंगा की स्वच्छता के लिए गंगा निरीक्षण यात्रा, गंगा आर्ट मैराथन, गंगा रथ संचालन एवं कार्याशालाओं का आयोजन किया गया। गंगा विचार मंच, नेहरू युवा केन्द्रों एवं शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाये गये हैं। उन्होंने कहा कि गंगा कि निर्मलता के लिए गंगा के प्रति सभी के मन में समर्पण का भाव होना जरूरी है।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि केन्द्र सरकार के मदद से नमामि गंगे के कार्यों में तेजी आई है। गंगा में कूड़ा-कचरा न जाए। इसके लिए साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट की ठोस योजना बनाई जा रही है। गंगा  की स्वच्छता के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जायेगा।
हरिद्वार सांसद डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि  2009-10 में स्पर्श गंगा अभियान शुरू किया गया। जिसमें गंगोत्री से गंगा सागर तक 2.50 लाख लोग जुड़े। 2010 के हरिद्वार कुंभ मेले में साढ़े आठ करोड़ श्रद्वालुओं ने गंगा के दर्शन किये। यह गौरव का विषय है कि यूनेस्को ने कुंभ को विश्व विरासत की धरोहर में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार एवं ऋषिकेश में पाॅलीथीन एवं प्लास्टिक के पूर्णतः प्रतिबन्ध के एनजीटी के आदेशों का कड़ाई से पालन होना चाहिए।

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने केन्द्रीय राज्य मंत्री डाॅ सत्यपाल से ऋषिकेश में कैलाश घाट एवं शिवपुरी में उच्च तकनीकि के शमशान घाट एवं तपोवन में स्नान घाट बनावाने का अनुरोध किया जिस पर केंद्रीय राज्य मंत्री द्वारा सहमति जतायी गयी।

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