गैरसैंण राजधानी जनांदोलन के लिए धधक रहे उत्तराखण्ड से सहमी सरकार
़़गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए देहरादून में राज्य गठन आंदोलन की तरह जनांदोलन का शंखनाद
जब आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी बन सकती है तो जनसम्मत गैरसैंण को राजधानी क्यों रोकी हुक्मरानों नेः देवसिंह रावत
उत्तराखण्ड को नेता की नहीं नीति व नीयत वाले नेतृत्व की जरूरत हैः समर भण्डारी(भाकपा)
उत्तराखण्ड में गैरसैंण के अलावा कहीं भी राजधानी स्वीकार नहींः रविन्द्र जुगरान(भाजपा नेता)
गैरसैंण मात्र स्थान नहीं अपितु जनांकांक्षाओं व लोकशाही का प्रतीक हैः इंन्द्रेश मैखुरी(माले)
गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए बजट सत्र में उमडेंगे उत्तराखण्डः रघुवीर बिष्ट (आयोजक)
गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए राज्य गठन की तरह जुडेंगे देहरादून सहित पूरे उत्तराखण्ड के छात्रः सचिन थपलियाल(छात्र नेता)
16 दिसम्बर को देहरादून में राज्य गठन आंदोलन की तर्ज पर राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए जिस प्रकार से तमाम आंदोलनकारी ताकतों ने दलगत बंधनों को दर किनारे करते हुए मजबूत जनांदोलन का शंखनाद किया। इसके साथ ही प्रदेश के कई भागों में राज्य गठन की तर्जं पर ही राजधानी गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए अलग अलग संगठन आंदोलन करने के लिए कमर कस रहे है। इन खबरों से उत्तराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार सहमी हुई है। सरकार को आशंका है अब गैरसैंण राजधानी बनाने के अलावा सरकार के पास कोई विकल्प नहीं रह गया है। सरकार को चाहिए कि वह राव मुलायम की तरह जनभावनाओं को रौंदने की भूल करने के बजाय जनभावनओं का सम्मान करते हुए राजधानी गैरसैंण तत्काल घोषित करे। अन्यथा भाजपा को भी राव व मुलायम की तरह अपयश का भागी बनना होगा।
राज्य गठन आंदोलन की तर्ज पर राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए आयोजित इस बैठक में जो विचार सामने आये उनमें
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन व राजधानी गैरसैंण पर प्रखर रहने वाले अग्रणी आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने दो टूक शब्दों में कहा कि जब तेलांगना राज्य गठन के चंद सालों में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू नयी राजधानी अमरावती बना सकते हैं तो 17 साल में राज्य की जनांकांक्षाओं के प्रतीक गैरसैंण को राजधानी बनाने में उत्तराखण्ड के तमाम नेता नकाम रहे। प्रदेश की सत्तासीन भाजपा व कांग्रेस के विधायक व नेता उत्तराखण्ड के हित में प्रधानमंत्री मोदी के पास क्यों नहीं गये कि हमें स्मार्ट सिटी नहीं अपितु राजधानी गैरसैंण चाहिए। इन दोनों दल जनभावनाओं का सम्मान करते हुए प्रधानमंत्री के मिल कर गैरसैंण राजधानी में ही स्मार्ट सिटी बनाने की मांग क्यों नहीं की? इससे इनका उत्तराखण्ड विरोधी मुखौटा पूरी तरह से बेनकाब रहा। क्योंकि झारखण्ड गठन के बाद झारखण्ड के भाजपा नेताओं ने वनांचल को नकार कर झारखण्ड के हक हकूकों की रक्षा की। परन्तु उत्तराखण्ड गठन के बाद भाजपा ने जनांकांक्षाओं को रौंदने का काम किया। उसके बाद कांग्रेस ने भी भाजपाईयों का ही अनुशरण किया।
उत्तराखण्ड को नेता की नहीं नीति व नीयत वाले नेतृत्व की जरूरत हैः समर भण्डारी(भाकपा)
उत्तराखण्ड में गैरसैंण के अलावा कहीं भी राजधानी स्वीकार नहींः रविन्द्र जुगरान(भाजपा नेता)
गैरसैंण मात्र स्थान नहीं अपितु जनांकांक्षाओं व लोकशाही का प्रतीक हैः इंन्द्रेश मैखुरी(माले)
गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए बजट सत्र में उमडेंगे उत्तराखण्डः रघुवीर बिष्ट (आयोजक)
गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए राज्य गठन की तरह जुडेंगे देहरादून सहित पूरे उत्तराखण्ड के छात्रः सचिन थपलियाल(छात्र नेता)
उपरोक्त विचार देहरादून में सम्पन्न हुए आंदोलनकारियों की गैरसैंण पर आयोजित परिचर्चा में प्रकट किये।
उल्लेखनीय है कि गैरसैंण राजधानी के नाम पर राज्य आंदोलन से जुड़े तमाम लोग व संगठन एक छतरी तले लड़ने को तैयार दिख रहे हैं। शनिवार को हिंदी भवन में ‘‘गैरसैंण- जनमंथन’ परिर्चचा कार्यक्रम में ऐलान किया गया कि गैरसैंण के सपने को पूरा करने के लिए जरूरी है कि देहरादून के रायपुर में प्रस्तावित नया विधानभवन की एक ईट भी न जुड़ने दी जाए। यह भी तय किया गया कि गैरसैंण को प्रदेश की स्थायी राजधानी बनाने के लिए विशाल जनांदोलन छेड़ा जाएगा। हिंदी भवन में आयोजित परिर्चचा कार्यक्रम में प्रदेशभर से आये लोगों ने भागीदारी की जिनमें उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी तथा छात्र-छात्राएं थे। जन संवाद कार्यक्रम में मुख्य रूप से तीन प्रस्ताव पारित किए गए। पहला प्रस्ताव यह पारित किया गया कि प्रदेश में दो-दो राजधानियों के बजाय एक ही राजधानी हो और वह गैरसैंण हो। दूसरा प्रस्ताव यह पारित हुआ कि देहरादून राज्य की राजधानी के रूप में किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं। तीसरा प्रस्ताव पारित किया गया कि देहरादून के रायपुर में प्रस्तावित विधानसभा भवन का निर्माण किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा। परिर्चचा कार्यक्रम में वक्ताओं ने गैरसैंण को पलायन और बेरोजगारी समेत प्रदेश की सभी बड़ी समस्याओं का हल बताते हुए जन-जागरण अभियान की जरूरत पर बल दिया। सभी वक्ता एक सुर में इस बात पर सहमत थे कि जब तक जन दबाव नहीं बनेगा तब तक कोई भी सरकार गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजानी नहीं बनाएगी। इसके लिए तय किया गया कि जल्द ही गैरसैंण को लेकर प्रदेश के सभी हिस्सों में जन-संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। पहले चरण में जिला एवं ब्लाक मुख्यालयों में छोटी-छोटी गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी जिसके बाद धीरे-धीरे बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। गैरसैंण पर रायशुमारी के साथ ही आंदोलन की जमीन तैयार की जाएगी और इसके बाद जनांदोलन छेड़ा जाएगा। प्रमुख वक्ताओं में राज्य आंदोलनकारी देव सिंह रावत, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल, रविंद्र जुगरान, रघुवीर बिष्ट, इंद्रेश मैखुरी, योगेश भट्ट, प्रदीप सती, कर्नल अजय कोठियाल, छात्र नेता सचिन थपलियाल, मोहन रावत उत्तराखंडी, भगवती प्रसाद मैंदोली, जगमोहन मेंदीरत्ता, पीसी थपलियाल, केसर सिंह बिष्ट, पुरु षोत्तम भट्ट, समर भंडारी आदि ने कहा कि भाजपा हो या कांग्रेस अब तक की सभी सरकारें इस मुद्दे पर टालमटोल का रवैया अपनाती रही हैं। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक पत्रकार मोहन भुलानी, रघुवीर बिष्ट तथा लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल थे। जनकवि अतुल शर्मा तथा उनके साथी जगदीप सकलानी ने जनगीत गाकर अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप कुकरेती ने किया। इस सम्मेलन में सम्मलित उक्रांद के नेता ने राजधानी गैरसैंण पर उक्रांद का साथ देने का आवाहन किया।