गुजरात व हिमाचल के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत प्रतीक है 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी के जीत का
मोदी के गढ़ गुजरात में कांग्रेस ने छुड़ाए पसीने,
गुजरात में भाजपा के अध्यक्ष शाह का दावा गलत साबित हुआ, डेढ़ हो तो रहा दूर सैकडा भी नहीं छू पाई भाजपा
हिमाचल में भी हारी मानी जा रही कांग्रेस ने दी टक्कर
देवसिंह रावत
गुजरात व हिमाचल पर हुए तमाम चुनाव परिणाम निकलने से साफ हो गया कि दोनों राज्यों में भाजपा ही सत्तासीन हुई। गुजरात में भाजपा 99 व कांग्रेस को80 सीट जीती। वहीं हिमाचल में भाजपा को 44 व कांग्रेस को 21सीट मिली। इस चुनाव परिणाम से जहां भाजपा की गुजरात में राज बच गयी। वहीं राहुल गांधी ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई।
जहांभाजपा गुजरात व हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना प्रारम्भ हो गयी। प्रारम्भिक रूझानों में दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनते नजर आ रही है परन्तु बाद में दोनों राज्यों में हारी मानी जा रही कांग्रेस अप्रत्याशित रूप से कड़ी टक्कर देती नजर आ रही है।
हालांकि गुजरात में भाजपा की कमजोर स्थिति का भान संघ, भाजपा को ही नहीं अपितु मोदी को पहले से था। इसीलिए उन्होने गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच जीएसटी में फेरबदल किया और अपनी पूरी ताकत झौंकी। ऐसा चुनाव प्रचार किया कि किसी भी प्रधानमंत्री ने किसी भी राज्य के विधानसभा सभा चुनाव में अब तक नहीं किया था। अपने कार्यकत्र्ताओं का मनोबल बढ़ाने व जनता में अपनी हवा बनाने, भ्रम फेलाने के लिए भाजपा अध्यक्ष शाह ने 150 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था। परन्तु उनको भान था कि भाजपा किसी तरह सरकार भी बना ले तो वह बड़ी जीत होगी। चैथी बार लगातार भाजपा प्रदेश की सत्तासीन होगी। प्रारम्भिक मतगणना के रूझानों में कांग्रेस एक बार कांग्रेस ने भी भाजपा पर बढ़त बना ली थी। बाद में पुन्न भाजपा ने बढ़त बना ली। परन्तु अब भाजपा व कांग्रेस में कांटे की टक्कर है। हिमाचल में भाजपा की सरकार बनेगी परन्तु कांग्रेस ने सही टक्कर दी। दोनों राज्यों में भाजपा की ही सरकार बनेगी।
सभी चुनावी सर्वेक्षण भले ही मतदान के बाद भाजपा की सरकार दोनों राज्यों में आसीन होने के आंकलन लगा रहे थे। परन्तु तमाम विपरित परिस्थितियों के बाद भी मुझे चुनाव घोषणा से पहले ही साफ लग रहा था की दोनों राज्यों में भाजपा ही सत्तासीन होगी। इसके पीछे और कुछ नहीं मोदी व शाह की युगल जोड़ी की चुनावी व्यूह रचना और सप्रंग शासनकाल का घोर कुशासन के जख्म ही है। हिमाचल में भाजपा का जीतना हिमाचल के दूरगामी हितों के प्रतिकूल होगा। वहीं गुजरात में जितना गुजरात सहित देश के हित में होगा। गुजरात की 182 सीटों व हिमाचल की 68 सीटों वाली विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में प्रारम्भिक रूझानों में दोनों राज्यों में भाजपा को बढ़त मिले हुए है। परन्तु गुजरात , यानी मोदी के गढ़ में भाजपा को कांग्रेस ने भारी टक्कर दे रही है। गुजरात में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के 151 सीटें मिलने के दावों के आसपास भी भाजपा आती नहीं दिखाई दे रही है। हिमाचल में जहां भाजपा की एक तरफी जीत मानी जा रही थी वहां भी कांग्रेस टक्कर देती नजर आ रही है। भले ही हिमाचल में एक बार भाजपा व एक बार कांग्रेस विजयी रहती है। इस बार कांग्रेस की हार मानी जा रही थी। भाजपा ने दामिनी आंदोलन के तर्ज पर वहां पर काफी आंदोलन किये। परन्तु हिमाचल को मजबूत बनाने में जो योगदान वीरभद्र का है ऐसी सोच बिचार व कार्य करने वाला एक भी नेता हिमाचल में देखने में नहीं मिलता। इसलिए वीरभद्र के अंतिम चुनाव में हिमाचल की जनता को उन्हें और बेहतर हिमाचल बनाने के लिए अवसर देना चाहिए। ताकी उनकी प्रतिभा का लाभ प्रदेश उठाता। भाजपा की नजर हिमाचल पर लगी है लगता नहीं भाजपा नेता हिमाचल के हितों की लक्ष्मण रेखा की रक्षा कर पायेंगे? गुजरात में पाटीदारों में हार्दिक पटेल का प्रभाव साफ नजर आ रहा है। यह बात साफ है कि अगर कांग्रेस में भी मोदी व शाह की तरह की चुनाव व्यूह रचना में महारथ हासिल होती तो गुजरात ही नहीं हिमाचल में भी भाजपा का सुफड़ा साफ हो सकता ।
हिमाचल व गुजरात के इन विधानसभा चुनाव में ही नहीं 2019 में भी मोदी जी अपनी चुनावी व्यूह नीति के कारण विजयी होंगे। गुजरात में भले ही कांग्रेस के दिग्गज नेता हार रहे हैं परन्तु कांग्रेस ने बहुत ही बेहतर ढंग से लड़ा। मोदी व शाह को तमाम व्यूह रचना व मजबूत संगठन के साथ शासन होने के बाबजूद बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ी । यह राहुल गांधी के नेतृत्व में प्रदेश में कमजोर संगठन होने के बाबजूद कांग्रेस ने पूरे दमखम से चुनाव लड़ा। परन्तु गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस की जातिवादी व्यूह रचना को देखते हुए उसका गुजरात में चुनाव हारना गुजरात व देश के हित में है।
गुजरात के इन चुनावों ने मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की आंखे खोल दी कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें हवाई जुमले बाजी के बजाय उन जनांकांक्षाओं व देशहित को साकार करना होगा जिन जनांकांक्षाओं के लिए जनता ने कांग्रेस के कुशाासन को उखाड़ कर मोदी को अभूतपूर्व बहुमत से देश की बागडोर संभाली थी। वह जनांकांक्षायें है भ्रष्टाचार, मंहगाई, बेरोजगारी, परिवारवाद के साथ देशहित व सुरक्षा को रौंदने वाले कुशासन को उखाड कर भारतीय संस्कृति का परचम लहराने वाला सुशासन स्थापित करना। तमाम कार्यो के बाबजूद इस दिशा में मोदी सरकार अभी कदम भी नहीं बढ़ा पायी। देश आज भी 71 सालों से अंग्रेजी का गुलाम बना हुआ है। शिक्षा, रोजगार, न्याय, शासन व सम्मान पर अंग्रेजों की ही भाषा अंग्रेजी का राज है । भारतीय भाषाओं की शर्मनाक उपेक्षा हो रही है। देश में पाक व चीन का संयुक्त आतंक ने देश की एकता अखण्डता व सुरक्षा पर ग्रहण लगाया हुआ है। देश की सरकार एक तरफ पाकिस्तान व चीन को मित्र राष्ट्र घोषित किये हुए है। खुद पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करने के बजाय वह अमेरिका से आशा कर रही है कि वह पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करे। देश की संस्कृति के प्रतीक गौ माता के कत्ल व मांस निर्यात पर अभी तक प्रतिबंध तक लगाने का साहस सरकार नहीं कर पायी। देश में भ्रष्टाचार, मंहगाई व बेरोजगारी कांग्रेसी राज की तरह बरकरार है। भ्रष्टाचारियों को दण्डित करने के बजाय टोपी बदल कर भाजपा में सम्मलित किये जा रहे है। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने के बजाय इस को बढ़ावा ही मिल रहा है।