चंद सालों में बन गयी अमरावती तो गैरसैंण राजधानी घोषित क्यों नहीं ?
देव सिंह रावत
तेलंगाना राज्य बनने के चंद सालों में ही आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हैदराबाद का मोह त्याग कर अलग स्थान पर अमरावती नाम से राजधानी बनाने का महान कार्य किया, अमरावती एशिया की सबसे बड़ी सुंदर आधुनिक शहर बनेगा । परंतु उत्तराखंड गठन के 17साल बाद भी यहां के धृतराष्टों ने अपने एशो-आराम के लिए देहरादून के मोह में अंधे होकर जनता की गैरसैंण राजधानी बनाने की पुरजोर मांग को रोंदने की धृष्टता कर प्रदेश को बर्बादी के गर्त में धकेल दिया है। सत्ता की बंदरबांट में उत्तराखंड के नेता विजय नौकरशाह इतने थृतराष्ट बन गये इनको न जनभावनाओं व शहीदों की शहादत का भान है , नहीं प्रदेश के हितों का। इन धुर्तों ने देहरादून के मोह में गैरसैंण जैसे सुंदर स्थान में बने भव्य विधानसभा नजरांदाज कर प्रदेश की लोकशाही का गला घोंट रहे हैं।
उत्तराखंड राज्य व राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर जनता ने संघर्ष किया व शहादतें दी। राज्य गठन के बाद राजधानी गैरसैंण बनाने के बजाय बलात देहरादून में थोपने वाले अब जनता के आक्रोश को कम करने के नाम पर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बनाने का षड्यंत्र कर देहरादून को ही राजधानी थोपे रखना चाहते हैं। उत्तराखंड की जांबाज जनता राव मुलायम के षड्यंत्र की तरह विफल कर देंगी।
- गैरसैंण को राजधानी बनाने के बजाय ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का षड्यंत्र उतराखण्ड द्रोह व शहीदों की शहादत का अपमान है। राजधानी गैरसैंण से कम मंजूर नही