मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने किया 58 करोड़ के निर्माण कार्यों का शिलान्यास
जौलजीबी(प्याउ)। सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ में इन दिनों जौलजीबी मेले की धूम मची है। 14 नवम्बर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विकासखण्ड धारचूला के जौलजीवी में जौलजीवी मेला एवं विकास प्रर्दशनी-2017 का दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत उदघाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने 57 करोड़, 98 लाख, 52 हजार रूपये की लागत के कुल 27 निर्माण कार्यों का शिलान्यास एवं लोकापर्ण किया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक बिशन सिंह चुफाल, मीना गंगोला, हरीश धामी, जिलाधिकारी सी.रविशंकर, पुलिस अधीक्षक अजय जोशी, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री द्वारा किये गये शिल्यान्यासों में सोसा में मिनी स्टेडियम का निर्माण किये जाने, तवाघाट में तटबंध निर्माण, बलुवाकोट डिग्री काॅलेज में मिनी स्टेडियम के निर्माण, नगर मुनस्यारी विकास खण्ड के साइपोलो में पेयजल लाईन के निर्माण की घोषणा, पंचायत धारचूला के ग्वालगांव में सिवर लाईन निर्माण, बलुवाकोट डिग्री काॅलेज में आगामी शिक्षा सत्र से स्नाकोत्तर की कक्षाएं प्रारम्भ किये जाने,धारचूला में पं.दीनदयाल उपाध्याय पार्क का निर्माण, दूतीबगड़-जौलजीबी में पंचायत घर का निर्माण, दारमा-चैदास व्यासघाटी में ट्रेकिंग मार्ग का निर्माण, तांकुल में मिनी स्टेडियम के निर्माण, धारचूला नगर पालिका क्षेत्रान्तर्गत पार्किंग निर्माण एवं हाईटेक शौचालय का निर्माण, शामिल है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने जौलजीबी मेला एवं विकास प्रर्दशनी को 05 लाख रूपये दिये जाने की भी घोषणा की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन को रोकने हेतु सरकार कृषि और औद्यानिकी के क्षेत्र में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा लघु एवं सीमांत किसानों को 02 प्रतिशत के सस्ते ब्याज पर एक लाख रूपये तक का कृषि ऋण दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान किये जाने हेतु राज्य के 12 चिकित्सालयों में टेली रेडियोलाॅजी की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमांत क्षेत्र धारचूला एवं मुनस्यारी में सगंध खेती के लिए अनुकूल वातावरण है। इन गांवों में सोसाइटी बनाकर सगंध खेती कर स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने व्यवसायिक खेती को प्रोत्साहित किये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्र के विकास हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा अनेक विकास योजनायें संचालित की जा रही है। सीमांत क्षेत्रों में संचार एवं कनैक्टिविटी की बेहतर सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से बैलून तकनीक का प्रयोग किया जायेगा।