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केदारनाथ की पूजा अर्चना कर प्रधानमंत्री मोदी ने साधा कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना

पहाड़ का पानी व पहाड़ की जवानी अब आयेगी पहाड़ के काम

प्रधानमंत्री बनने के बाद भी केदार त्रासदी के समय कांग्रेस द्वारा केदार आने से रोके जाने को नहीं भूले मोदी
बाबा ने तय किया था कि यह काम बाबा का ही बेटा करेगा

भगवान शिव के सर्वोच्च नाम यानी मोक्ष धाम केदारनाथ धाम में पूजा अर्चना व दर्शन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी।

केदारनाथ त्रासदी के समय , भगवान केदारनाथ के दर्शन से मोदी को रोकने वाली कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने की भीष्म प्रतिज्ञा को पूरा करने के बाद  किये केदारनाथ धाम के दर्शन मोदी ने

देवसिंह रावत

जय जय बाबा भोले!, जय जय बाबा केदार! का दो तीन बार गगनभेदी उदघोष करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देवभूमि के सभी भाई-बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं। उत्तराखंडी भाषा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘ भाईयो व बहिनो को मेरो सादर नमस्कार। बाबा केदार को आशीर्वाद  सबी पर बणी रेय, यही कामना छः’ कह कर अपनी शुभकामनाएं दी। मोदी जी ने 2013 मे त्रासदी के देश विदेश के हजारों हुतात्माओं को श्रृद्धांजलि दी।
इसके साथ प्रधानमंत्री ने 2013की प्राकृतिक आपदा से हुई क्षति पर गहरी चिंता प्रकट की।

कांग्रेस नेतृत्व का नाम न लेते हुए मोदी ने लगाया 2013 में केदारनाथ त्रासदी के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी को केदारनाथ पुननिर्माण करने पर रोक का आरोप।
अपनी इस पीड़ा को भूल नहीं पाये प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी हार्दिक इच्छा थी कि वे आपदा से त्रस्त केदारपुरी के पुननिर्माण में सहभागी बने। परन्तु तत्कालीन उत्तराखण्ड सरकार ने अपने दिल्ली नेतृत्व की मंशा भांप कर उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। अब प्रदेश में उनकी अपनी सरकार बन गयी है। अब मेैं यह सपना  पूरा करूंगा। मुख्यमंत्री रहते हुए केदारनाथ त्रासदी से केदारपुरी के पुननिर्माण करने को कांग्रेस द्वारा रोकने के बाबजूद केदार बाबा की इच्छा थी कि उनका बेटा ही इस कार्य को करे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देवभूमि वीरों की भूमि है। योग की भूमि है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कभी केदार बाबा की यह धरती उनकी तपभूमि रही। शायद बाबा की इच्छा थी कि में तप की जगह जनसेवा में रत रहूॅं। बाबा केदार की इसी आदेश को सरमाथे पर रख कर मैं आज सवा सो करोड़ लोगों की सेवा कर रहा हॅू।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा अब उनकी सरकार उत्तराखण्ड में प्रचलित इस कहावत को भी बदल देगी कि पहाड़ का पानी व पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ के काम नहीं आती। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी प्रदेश सरकार अनैक कल्याणकारी योजनायें चला कर पहाड़ का पानी व जवानी दोनों पहाड़ के काम आने के लिए लगा देंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हिमालय अपने अनेक प्रदेशों से विभिन्न रूपों से अनुभूति देता है। उत्तराखण्ड में यह आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उत्तराखण्ड को सिक्किम प्रांत की तरह ही जैविक खेती पर जोर देकर पूरे विश्व बाजार में छा जाना चाहिए। इससे न केवल उत्तराखण्ड समृद्ध होगा अपितु देश का भी कल्याण होगा। प्रधानमंत्री ने केदारनाथ में आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि का भी पुनर्निमाण करने की योजना  पर विस्तार से प्रकाश डाला।

केदारनाथ धाम के पुननिर्माण करने के लिए 5 योजनाओं का शिलान्यास किया प्रधानमंत्री मोदी ने । उनके साथ उत्तराखण्ड के राज्यपाल, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत, मंत्री प्रकाश पंत, मंत्री धनसिंह रावत व प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट सहित अनैक पदाधिकारी उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री के विचारों से साफ झलकता है कि उत्तराखण्ड के भाजपाई नेताओं ने कभी प्रधानमंत्री मोदी से उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं व लोकशाही का प्रतीक राजधानी गैरसैंण न बना कर बलात देहरादून में शासन चलाने और मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा न मिलने से  प्रदेश की जनता के आहत भावनाओं के बारे में कभी अवगत ही नहीं कराया होगा। प्रदेश की राजधानी गैरसैंण न बनने से पर्वतीय जनपदों में शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार व शासन सब पटरी से उतर चूके है। देहरादून की पंचतारा ऐशगाहों में कुण्डली मारे नेता व नौकरशाहों के कारण प्रदेश एक प्रकार से उजड़ सा गया है। भ्रष्टाचारियों ंकी ऐशगाह बन गयी है।

पहले अटकलें लगायी जा रही थी कि प्रधानमंत्री मोदी केदारनाथ के दर्शन के बाद भगवान बदरीनाथ धाम के भी दर्शन करेंगे। परन्तु अब 20 अक्टूबर को जारी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के अनुसार वे केवल भगवान केदानाथ के ही दर्शन करेंगे। केदारनाथ व बदरीनाथ में जिस प्रकार गुजरात की धर्मपरायण जनता का भी गहरा विश्वास है। उसी गहरी आस्था का प्रतीक है मोदी जी की केदारनाथ यात्रा। हालांकि गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी का केदारनाथ यात्रा को उनके राजनैतिक प्रतिद्धंदी इसे राजनैतिक नजरिये से देख रहे है। परन्तु वे भूल जाते हैं प्रधानमंत्री मोदी स्वयं खुद भगवान शिव के अनन्य भक्त है। केदारनाथ में मोदी जी 10.15 बजे पंहुचेंगे। 10.40बजे  तक वे भगवान केदारनाथ के दर्शन व पूजा करेंगे। पौने बारह बजे तक वहां पर केदारनाथ धाम में होने वाली पुननिर्माण की 5योजनाओं व जनता को संबोधित करेंगे। वहां से 12 बजे प्रधानमंत्री हेलीकप्टर से देहरादून पंहुच कर 12.30 बजे देहरादून से दिल्ली वापसी करेंगे।

गौरतलब है कि पहले अटकलें लगायी जा रही थी  कि इस साल कपाट खुलने के पहले दिन ही भगवान केदारनाथ के दर्शन करने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी भगवान विष्णु व भगवान शिव के  विश्व विख्यात सर्वोच्च धाम बदरी केदार के शीतकाल के लिए कपाट बंद होने से पहले भी पावन दर्शन करेंगें। देश के सनातनी संस्कृति को मानने वालों में भगवान बदरी केदार के प्रति गहरी आस्था है। प्रधानमंत्री गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले अपने ईष्ट देव से आशीर्वाद लेना चाहते है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि 2013 में  केदारनाथ क्षेत्र सहित उत्तराखण्ड में आयी विनाशकारी त्रासदी के समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी तत्काल केदारनाथ धाम जा कर वहां राहत व बचाव कार्य में हाथ बंटाना चाहते थे। परन्तु उस समय उत्तराखण्ड में आसीन कांग्रेसी सरकार के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने आलाकमान का चेहता बनने के लिए कांग्रेस के निशाने पर रहने वाले गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को केदारनाथ धाम में जाने की इजाजत नहीं दी। इससे आहत हो कर नरेन्द्र मोदी ने मन ही मन ऐसी भीष्म प्रतिज्ञा ली कि जब तक उत्तराखण्ड से कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करके ही भगवान बदरी केदार के दर्शन करेंगें। हालांकि उस समय उन्होने गुजरात से आने वाले हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को गुजरात ले जाने के लिए विशेष प्रबंध किये थे।

मोदी की इस भीष्म प्रतिज्ञा को साकार करके ही दम लिया उनके चाणाक्य समझे जाने वाले भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने। अमित शाह ने मोदी को केदारनाथ जाने से रोकने वाले तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सहित एक दर्जन के करीब कांग्रेसी विधायकों को भाजपा में सम्मलित कराकर कांग्रेस की सत्ता की चूलें हिला दी। हालांकि विजय बहुगुणा की सरकार केदारनाथ त्रासदी में बचाव व राहत कार्य करने में इतनी असफल रही कि उससे पूरे प्रदेश में कांग्रेस की भारी किरकिरी हुई। विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री रहते हुए केदारनाथ धाम जहां दस हजार के करीब श्रद्धालु मारे जाने की आशंका प्रकट की जा रही है उस भगवान केदारनाथ के धाम में पांव रखने की हिम्मत एक महिने तक नहीं कर पाये। कांग्रेस ने अपनी लाज बचाने के लिए विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेताज किया। इसके बाद मुख्यमंत्री बने हरीश रावत ने भले ही केदारनाथ धाम को पुन्नः यात्रा के योग्य बनाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किये। हालांकि इस आपदा-बचाव व पुनर्वास में भ्रष्टाचार का कालिख भी सरकार व प्रशासन के माथे पर लगी।
इसके बाद मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने कई बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से केदारनाथ बदरीनाथ के दर्शन करने के लिए आमंत्रित किया। परन्तु भगवान शिव के परम भक्त नरेन्द्र मोदी, त्रासदी से मर्माहित केदारनाथ के दर्शन करने को कांग्रेसी शासन के रहते नहीं आये। कांग्रेसी व भाजपाई भी हैरान थे कि भारतीय संस्कृति के ध्वज वाहक कहे जाने वाले संघ के स्वयं सेवक व देश के प्रधानमंत्री जहां अमेरिका के तीन बार यात्रा कर गये। नेपाल से लेकर कश्मीर त्रासदी में कुशल क्षेम पूछने वहां गये। परन्तु विश्व के किसी भी धार्मिक स्थल पर हुई सबसे बड़ी त्रासदी केदारनाथ की सुध लेने प्रधानमंत्री क्यों नहीं गये।
इस रहस्य से पर्दा तब उठा जब उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हारने व भाजपा के सत्तासीन होने पर केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के पहले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये। हालांकि अपनी जुबान पर कभी उन्होने इस रहस्य को उजागर नहीं किया परन्तु उन्होने अपने कदमों से ही अपनी भीष्म प्रतिज्ञा को खुद ही जगजाहिर कर दिया।

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