दुनिया

ब्रिक्स में शांति का मुखौटा पहन कर आतंकी पाकं का संरक्षक चीन, कर रहा है आतंक के खिलाफ आवाहन

 

चीन की आतंकी पाक को अंध संरक्षण देने व विस्तारवादी हडप नीति के कारण ब्रिक्स पर भी लगा ग्रहण

 पूर्व प्रधानमंत्रियों की तरह विश्व को देश के असली नाम भारत से भी परिचित नहीं करा पाये मोदी, चलता रहा फिरंगियों द्वारा थोपा गया नाम  इंडिया।

देवसिंह रावत

3 सितम्बर को चीन के शियामिन में तीन दिवसीय ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में व्यापार गोष्टी का उदघाटन करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ब्रिक्स देशों से सभी प्रकार के आतंकबाद के खिलाफ लड़ाई में समग्र दृष्टिकोण अपना कर  आतंकवाद को जमीदोज करने का आवाहन किया।  ब्रिक्स देशों के तीन दिवसीय सम्मेलन में  ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल टेमर,रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा इस सम्मेलन में सम्मलित है।
अपने आतंकबादी पाक को अंध समर्थन पर पर्दा डाल कर विश्व शांति का मशीहा बनते हुए चीनी राष्ट्रपति  शी चिनफिंग ने ब्रिक्स देशों से सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समग्र दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।  आतंकबाद के सफाये के लिए समग्र दृष्टिकोण रखते हुए  इसके लिए उसके लक्षण और मूल कारणों से निपटा जाना चाहिए ताकि आतंकियों के छिपने की कोई जगह न हो।
परन्तु चीन की हकीकत को दुनिया जानती है कि चीन एक तरफ पाकिस्तान जैसे विश्व शांति को ग्रहण लगाने वाले सबसे खौपनाक आतंकी देश को अंध समर्थन कर रहा है और दूसरी तरफ ब्रिक्स देशों से आतंकबाद को जमीदोज करने का आवाहन कर रहा है। चीन के पाकिस्तानी आतंकबाद को अंध समर्थन देने व पड़ोसी देशों पर काबिज होने की विस्तारवादी कुनीति के कारण ब्रिक्स संगठन का भी दुनिया के अन्य बडे संगठनों की तरह ही कागची मंच बन कर अप्रासंगिक हो कर रह जायेगा।

गौरतलब है कि इससे लगता है कि विश्व की 3 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला व संसार की पांच बडी उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका का संगठन ब्रिक्स पर भी चीन के इसी दोहरे मापदण्ड के कारण ग्रहण लग रहा है।
यह विश्व की उभरती राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के एक संघ है। इसके सदस्य राष्ट्र ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं। २०१० में दक्षिण अफ्रीका के शामिल किए जाने से पहले इसे ब्रिक के नाम से जाना जाता था। रूस को छोडकर, ब्रिक्स के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगीकृत देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। ये राष्ट्र क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। वर्ष २०१३ तक, पाँचों ब्रिक्स राष्ट्र दुनिया के लगभग 3 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक अनुमान के अनुसार ये राष्ट्र संयुक्त विदेशी मुद्रा भंडार में ४ खरब अमेरिकी डॉलर का योगदान करते हैं। इन राष्ट्रों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद १५ खरब अमेरिकी डॉलर का है।  दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करता है।

ब्रिक्स समूह का पहला औपचारिक शिखर सम्मेलन, येकतेरिनबर्ग, रुस में १६ जून 2009 में हुआ। दूसरा ब्रिक शिखर सम्मेलन, 2010 -ब्राजील व  2011 में तृतीय सम्मेलन- चीन में। चैथा सम्मेलन, 2012 भारत के नई दिल्ली व 2013 पाँचवाँ -दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुआ। 2014 छठा सम्मेलन  ब्राजील, व 2015 में सातवाँ सम्मेलन रूस के ऊफा में आयोजित हुए। वहीं  8वाँ ब्रिक्स सम्मेलन 2016, भारत के गोवा में आयोजित किया गया।
ब्रिक्स सम्मेलन के मेजवान चीनी राष्ट्रपति  चिनफिंग ने ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ने पर संगठन के देशों को बधाई दी। चिनफिंग ने ब्रिक्स देशों ने एक दशक की यात्रा में अपने सकल घरेलू उत्पाद में 179 प्रतिशत  व व्यापार में 94 प्रतिशत की सराहनीय वृद्वि की । उन्होने आपसी सहयोग ही ब्रिक्स देशों की मजबूत नींव बताते हुए संगठन के देशों को अपने आपसी  विवाद को विवेकपूर्ण ढंग से शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का आवाहन भी किया।
भले ही चीनी राष्ट्रपति शी चिंनफिंग ने यह बयानी आवाहन तो किया परन्तु जमीनी हकीकत यह है कि चीन अपने पड़ोसी तमाम एक दर्जन से अधिक देशों के हक हकूकों को अपनी ताकत के दम पर रौंदने व उसकी जमीन को हडपने में लगा रहता है। चीन का असली चेहरा तिब्बत को हडपने के साथ ब्रिक्स देश भारत की सरजमी पर बलात कब्जा करने से निरंतर दोनों देशों के बीच युद्ध की सी स्थिति उत्पन्न हो गयी थी।
भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही अपने संबोधन में शांति के लिए सभी ब्रिक्स देशो से मिल कर सहयोग देना होगा। परन्तु वे भी पूर्ववर्ती शासको की तरह ही विश्व को अपना नाम भारत से परिचित कराने में असफल रहे। इस सम्मेलन में भी भारत का अपना असली नाम भारत के बजाय फिरंगियों द्वारा थोपे गये इंडिया नाम से जाना जाता रहा।  
प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी, शिक्षा, चिकित्सा, विकास व व्यापार पर मिल कर काम करने का आवाहन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को अपनी ताकत बताते हुए अपने काले धन व भ्रष्टाचार  के खिलाफ छेडे हुए अभियान पर प्रकाश डाला। परन्तु पूरा देश चाहता है कि प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मेलन में साफ करें कि पाकिस्तान विश्व शांति के लिए आज के दिन सबसे बड़ा खतरा है उसको सहयोग देना एक प्रकार से विश्व शांति का गला घोटना ही है।
ब्रिक्स देशों को एक बात साफ समझ लेना चाहिए कि संसार की शांति को तबाह करने वाले आतंकी देश को सहयोग देने पर अंकुश न लगाने की साफ बात न करके गोलमोल बात करने से कभी आतंकबाद पर न अंकुश लगेगा व नहीं विश्व में शांति होगी। ऐसे आतंकी देश व उसके संरक्षक के साथ सहयोग करना या व्यापार करना एक प्रकार से आतंकबाद को मजबूती देना ही है। ंब्रिक्स संगठन व  उसके सदस्य देशों को समझना चाहिए कि ऐसे दोहरे मापदण्ड से यह संगठन भी दुनिया के सबसे बडे संगठन संयुक्त राष्ट्र की तरह ही चंद देशों के हाथों का खिलौना व कागची  संगठन बन कर रह जायेगा। 

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