मुख्यमंत्री जी, गैरसैंण राजधानी बनाने से आबाद होगा उत्तराखण्ड के खेत खलिहान व बागवान।
पूर्वजों की तरह से खेती से जुड़ने से ही खुशहाल होगा उत्तराखण्डः मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र
देहरादून(प्याउ)। ‘ प्रदेश में लोग खेती छोड़ रहे है। खेती छोड़ने से पर्यावरण को भी हानि होती है। हमारे पूर्वज उन्नत व मेहनती किसान थे। जिन्होंने विषम पर्वतीय क्षेत्रो तथा तेज ढालो पर खेत बनाएं। हमें अपनी खेती-बाड़ी की परंपरा को बनाए रखना होगा। खेती से ही प्रदेश पहले की तरह खुशहाल हो सकता है।
प्रदेश की जनता से यह आवाहन उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 30 अगस्त को टी एस्टेट बंजारावाला में देहरादून के पहले महिला जिला सहकारी बैंक की शाखा का उद्घाटन करते हुए किया।
इस अवसर पर सहकारिता विभाग उत्तराखंड को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि एक बैंक सिर्फ विशेषरुप से महिलाओं द्वारा संचालित होगा। निश्चित रुप से इसके अच्छे परिणाम आएंगे। सहकारिता का भविष्य उज्ज्वल है। आज पूरी दुनिया कोऑपरेटिव या कॉर्पोरेट की ओर जा रही है। हमारी खेती भी कोरपोरेट या कोऑपरेटिव हो रही है। छोटी-छोटी जोत तथा लोगों द्वारा खेती छोड़ने के कारण कोऑपरेटिव फार्मिंग का प्रचलन बढ़ रहा है। राज्यवासियों का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि खेती को कॉर्पोरेट, कॉन्ट्रैक्ट या कोऑपरेटिव किसी भी माध्यम से जिंदा रखना होगा।
राज्य के कुछ जिलों में लिंगानुपात कम होने पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि यदि मां ताकतवर है तो बच्चियों की हत्या नहीं होगी। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि एक और हम महिला बैंक, महिला आरक्षण तथा महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो दूसरी और कुछ जिलों में लिंगानुपात कम हुआ है। देवभूमि उत्तराखंड तथा यहां के देव स्थानों का देश और दुनिया में अत्यंत सम्मान व गौरव है। हमारा यह दायित्व है कि हम उत्तराखंड की पहचान को बनाकर रखें। इसके साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि सहकारिता मात्र बैंकिंग क्षेत्र के लिए ही नहीं है बल्कि हमें अपने गांवो, देवी देवताओं, रीति रिवाजो और परंपराओं से भी जुड़े रहना होगा। यह भी एक सामाजिक सहकारिता है।
मुख्यमंत्री ने महिला जिला सहकारी बैंक बंजारावाला के सभी महिला अधिकारियों व कर्मियों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अब आप को सिद्ध करना है कि आप सर्वोत्तम है। हम चाहते हैं कि हर पंचायत, ब्लॉक, तहसील तथा नगर में महिला बैंक हो।
भले ही मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कृर्षि को पुन्नः आबाद करने की बात कॉर्पोरेट, कॉन्ट्रैक्ट या कोऑपरेटिव आदि किसी भी माध्यम से जिंदा रखने के संदर्भ में कही। परन्तु हकीकत यह है कि प्रदेश में सरकारों का आज तक उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में सदियों से चल आबाद रही खेतीे को ही हत्तोसाहित करने का रहा। जिस प्रकार से प्रदेश की सरकारों ने जनता द्वारा राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए गैरसैंण राजधानी बनाने के बजाय बलात देहरादून में थोपने का कृत्य किया उससे उत्तराखण्ड की राज्य की मांग करने वाले पर्वतीय क्षेत्र बर्बादी के कगार पर है। शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा व शासन की उपेक्षा के कारण यहां पर लोग खेती छोड़ कर कस्बाई शहरों या देहरादून, हरिद्वार व नैनीताल/ऊधमसिंह जनपद सहित देश के बडे शहरों में पलायन कर रहे है। उसको देख कर आम जनता परेशान है। वहीं उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपदों ंकी शासन द्वारा की जा रही उपेक्षा से आहत प्रदेश के कृशि मंत्री को भी अपना दर्द सार्वजनिक करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है कि क्या प्रदेश हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर के लिए बनाया गया था? प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि प्रदेश किसी थैलीशाहों या बाबाओं के लिए नहीं बनाया गया। यहां के लोगों को बांध, बाध, बाबाओं, नेताओं व बाबुओं के लिए अभ्यारण बनाने से नहीं अपितु गैरसैंण राजधानी बनाने से आबाद होगा उत्तराखण्ड के खेत_खलिहान व बागवान।