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खुद को अमेरिकीे चक्रव्यूह में फंसा देखकर भारत से युद्ध को उतारू चीन हुआ समझोते को मजबूर

डोकलाम प्रकरण सुलझाते हुए  चीन व भारत ने समझदारी से टाला आत्मघाती युद्ध
भारत व चीन एक दूसरे पर कूटनीति जीत दर्ज करने का दावा से इस समझोते पर लग सकता है ग्रहण
देवसिंह रावत –
भारत व चीन के नेतृत्व ने समझदारी दिखाते हुए कूटनीति पहल करते हुए आत्मघाती युद्ध से बचाने का काम करते हुए डोकलाम से दोनों देशों ने अपनी अपनी सेनाओं को दो माह पहले की स्थिति में बहाल करने का निर्णय लिया। अगर युद्ध होता तो भारत व चीन दोनों एक दूसरे को इस युद्ध के कारण विकास की वर्तमान गति से दसों साल पीछे धकेल देते जो पश्चिमी देशों के लिए एक प्रकार का वरदान होता। अमेरिका सहित पश्चिमी देश 21 वीं षताब्दी में एशिया के इन दो बडे देशों में बह रही विकास की आंधी से परेशान है। क्योंकि उनको आशंका है कि अगर एशिया के ये दोनों देश चीन व भारत इसी प्रकार से सतत् विकास करते रहे तो विश्व में उनके सम्राज्य की चूलें हिला कर विश्व व्यापार में आर्धे हिस्से पर ये दोनों देश काबिज हो जायेंगे।
इसलिए दोनों देशों में डोकलाम प्रकरण से उभरे विवाद से पश्चिमी दुनिया बेहद खुश थे।

वहीं कई चीन की सम्राज्यवादी प्रवृति के समीक्षकों का मानना है कि  डोकलाम से अपने कदम पीछे हटाने के लिए भारत के साथ समझोता करने के पीछे चीन में होने वाले आगामी ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन है। अगर चीन इस सम्मेलन से पहले डोकलाम से अपने कदम पीछे नहीं खिंचता तो भारत शायद ही ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेता।
इस डोकलाम प्रकरण पर गंभीरता से सोच विचार कर बुद्धिमता का परिचय देते हुए दोनों देशों ने अपनी अपनी सेना दो माह पहले के स्थान तक वापस ले जाने पर सहमत हो गये है। चीन ने वहां पर सडक बनाने वाले अपने तमाम कार्य बंद कर दिया। परन्तु अपनी नाक को बनाये रखने के लिए दोनों देश अपनी अपनी जीत का डंका बजाते हुए एक दूसरे को अपनी गलती मानने की बात कह रहे है।
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग कह रही है कि 28 अगस्त की दोपहर में भारत ने घुसपैठ करने वाले सभी सैनिकों, संसाधनों को सीमा पर भारत की तरफ वापस बुला लिया। उसके जवान इलाके में अब भी गश्त कर रहे हैं।पर इसी समझोते के कारण डोकलाम में सडक निर्माण की अपनी योजना पर चीनी प्रवक्ता ने मौन साधने के लिए मजबूर हुई।
वहीं भारत ने भी इस समझोते पर कहा कि चीनी पक्ष द्वारा सड़क बनाने वाले सभी उपकरण, टेंट और बुलडोजर डोकलाम से हटा लिया है।
दोनों पक्ष अपनी अपनी नाक बचाने के लिए अपने देश में दावा कर रहे हैं कि उनकी सेनायें वहीं आस पास है या गस्त लगा रही है। परन्तु समझोता यह हुआ है कि दोनों देश अपनी सेना पीछे करके 2 माह पहले की स्थिति वहां पर बनाये रखेंगे।
हकीकत यह है कि इस समझोते के अनुसार डोकलाम में टकराव की जगह से सिर्फ भारत नहीं, बल्कि चीन के भी सैनिक हटेंगे।
इस विवाद की मूल जड़ भूटान के  डोकलाम क्षेत्र में चीन द्वारा बलात सड़क बनाना रहा। अब इस समझोते के बाद चीन जिस सडक के बनाने के लिए भारत को युद्ध की धमकी दे रहा था चीन अब उस सड़क को नहीं बना पाएगा।
चीनी सेना ने डोकलाम में सड़क बनाने का काम करके यथास्थिति को तोड़ा था और इसी का विरोध भूटान व भारत ने किया था। इसी कारण विवाद उभरा था।
भारत चीन सीमा पर लगे भूटान के डोकलाम क्षेत्र में बलात सडक बनाने को उतारू चीन को भारतीय सेना ने हस्तक्षेप कर 16 जून को सड़क बनाने से रोक दिये जाने से भारत व चीन के बीच स्थिति बेहद विस्फोटक हो गयी थी। चीन ने दर्जनों बार भारत को युद्ध की धमकी देकर भारत को उकसाने का कार्य किया। पूरे विश्व की नजरें भारत व चीन के बीच हो रहे विवाद पर टिकी थी। जहां अमेरिका, जापान ने खुल कर भारत के पक्ष में ताल ठोकी वहीं चीन भारत को युद्ध के लिए ललकार कर कड़ा सबक सिखाने की हुंकार भरने लगा। सड़क बनाने की चीन की हटधर्मिता के कारण  ही सिक्किम के पास डोकलाम इलाके में दोनों देशों में युद्ध के बादल मंडराने लगे थे।
प्यारा उत्तराखण्ड में भी खुद मेने प्रमुखता से डोकलाम विवाद पर चीन के लिए आत्मघाती साबित होने वाली चेतावनी से आगाह किया था। डोकलाम में सडक बनाने के लिए भारत को युद्ध के लिए ललकारने वाली प्रवृति से आगाह करते हुए मेने साफ लिखा था कि चीन अमेरिका के कोरिया चक्रव्यूह में फंस गया है।
चीन ने भी भारत के साथ होने वाले युद्ध से अमेरिकी हितों को मजबूती देने वाला व चीन के लिए आत्मघाती  साबित होने वाला कदम समझ कर भारत से तत्काल युद्ध करने के लिए बढ़ाये कदमों को वापस ले कर भारत से समझोता करने में अपनी भलाई समझी। चीन को समझ में आ गया कि अमेरिका चाहता है कि चीन भारत से उलझे और अमेरिका व उसके सहयोगी देश जापान सहित नाटो, उत्तरी कोरिया के बहाने चोतरफा चीन पर प्रहार कर तबाह करे। इसी आशंका से भयभीत चीन ने भारत को युद्ध के लिए ललकारने वाले आत्मघाती कदमों को वापस खिंचने में ही अपनी भलाई समझी।

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