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रोहतक में बंद है बाबा राम रहीम, 5 राज्यों में हिंसक हुए समर्थक, कई शहरों में कर्फ्यू, 30 मरे, सिरसा में सेना उतरी

न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया और 28 अगस्त को सुनायी जायेगी सजा

सच्चा सौदा प्रमुख के समक्ष पंजाब व हरियाणा की  असहाय नजर आ रही सरकारों को देख कर देश ही नहीं विश्व भी हैरान

डेरा प्रमुख राम रहीम को अदालत द्वारा दोषी ठहराने के बाद उनको हेलीकप्टर द्वारा चिकित्सा जांच किये जाने के बाद रोहतक  में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में बनायी गयी अस्थाई जेल में रखा गया। जहां 28 अगस्त को वीडियों काॅंन्फ्रंसिंह द्वारा सजा सुनायी जायेगी। डेरा प्रमुख को दोषी ठहराने व गिरफ्तारं किये जाने से भड़के डेरा समर्थकों ने  हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उप्र और दिल्ली में हिंसा और आगजनी । इस हिंसा के दौरान 30 लोगों की मौत और 250 से ज्यादा घायल हुए हैं। पुलिस ने हजारों हिंसक डेरा समर्थकों को गिरफ्तार किया गया। डेरा के मुख्यालय सिरसा में शांति बनाये रखने के लिए सेना ने मार्च किया। इस हिंसा की निंदा करते हुए प्रधानमंत्री ने हरियाणा, पंजाब, उप्र, राजस्थान व दिल्ली में हिंसक तत्वों पर तत्काल अंकुश लगाने के लिए केन्द्र पूरी सहायता देगा। इस हिंसक तत्वों पर तत्काल रोक लगायी जायेगी। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या डेरा मुख्यालय पर भी पुलिस प्रशासन अराजकतत्वों की धरपकड़ करने जायेगी।
सबसे अधिक हिंसक गतिविधियां पंचकूला में समर्थकों द्वारा किया गया। सैकड़ों गाड़ियां फूंक दीं, यहां कर्फ्यू लगा दिया गया है। मलोट और बल्लूआना रेलवे स्टेशन के अलावा कई जगह पेट्रोल पंप और सरकारी दफ्तरों में भी आग लगा दी गई। बाद में पुलिस ने पंचकूला से सभी समर्थकों को खदेडा दिया गया।
हरियाणा के पंचकूला, सिरसा, व कैथल सहित कई जनपदों में कर्फ्यू लगा दिया गया। पंजाब के पटियाला,संगरूर, फिरोजपुर, भट्ण्डिा और मोगा, बागा पुराना शहर में भी कर्फ्यू लगा दिया गया। राजस्थान के गंगानगर में तोडफोड़, । उप्र में गाजियाबाद, बागपत, नोएडा, शामली,  हापुड आदि में धारा 144 लगायी गयी। गाजियाबाद में विद्यालयों को 26 अगस्त को छूट्टी कर दी गयी। दिल्ली में बस व एक रेल को निशाना बनाया गया। दिल्ली में मेट्रों को सजग कर दिया गया। दिल्ली के 11 जिलों में धारा 144 लगा दी गई। सबसे बडा सवाल यह है कि पंचकूला में धारा 144 लगाये जाने के बाबजूद प्रशासन ने यहां पर लाखों डेरा समर्थकों को कैसे आने दिया। उच्च न्यायालय ने इस हिंसा पर गहरा आक्रोष जारी करते हुए बाबा राम रहीम की सम्पति से हुए नुकसान की भरपायी का फरमान जारी किया। दिल्ली में भी धारा 144 लागू कर दी।  यह पूरा प्रकरण 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजी एक गुमनामी फरियादी चिट्ठी के बाद न्यायालय ने मामला दर्ज किया। हरियाणा में खट्टर सरकार जाट आरक्षण आंदोलन की तरह डेरा प्रकरण में भी बिलकुल असहाय नजर आयी। स्थिति को भांप कर व न्यायालय की फटकार सुनने के बाबजूद वह हिंसक तत्वों पर अंकुश नहीं लगा पायी।

गौरतलब है कि 25 अगस्त को पूरे देश की नजर पंचकूला में स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में ढाई बजे आने वाले डेरा प्रमुख पर आने वाले फैसले पर लगी थी। अदालत ने 3.10बजे बाबा को दोषी करार दिया । इसके बाद पुलिस ने डेरा प्रमुख को हिरासत में ले लिया।। सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम पर डेरा की पूर्व अनुयायी ने योन शोषण का आरोप लगाया जो 2007 से न्यायालय में चल रहा है।

पंचकूला के सीबीआई न्यायालय में उपस्थित होने के लिए सिरसा से सडक मार्ग से अपने आश्रम के पिछले रस्ते से प्रातः 9.05 बजे सैकडों गाडियों के दस्ते के साथ निकले डेरा प्रमुख राम रहीम ।  सिरसा में बाबा के काफिले के आगे सडक पर लेट गये बाबा राम रहीम के समर्थक, बाद में स्वयं सेवकों द्वारा लेटे लोगों को हटाये जाने पर ही बाबा का काफिला आगे बढ़ा। रास्ते में डेरा प्रमुख के काफिले की तीन गाडियां टकरायी पर कोई जान माल का नुकसान नहीं हुआ।
पहले खबर थी कि सुरक्षा की दृष्टि से डेरा प्रमुख राम रहीम न्यायालय हेलीकप्टर से जायेंगे। पर बाद में शायद उन्होने अपने भक्तों का मनोबल बनाये रखने के लिए सडक मार्ग से अपने जत्थे के साथ पंचकूला स्थित न्यायालय में पेश होने का निर्णय लिया हो। इससे भक्तों को ही नहीं खबरिया चैनलों के माध्यम से देश विदेश के करोड़ों लोग बाबा का जलवा देखने का अवसर भी मिला।
पुलिस व डेरा प्रमुख के वापस लौट जाने की अपील को नजरांदाज कर डेरा समर्थकों के हजारों हजार की संख्या में पंचकूला में डटे रहने से लोग आशंकित है। देश ही विदेश के लोग भी हैरान है कि भारत में यह क्या हो रहा है? न्यायालय को भी कानून व्यवस्था पर सरकार को कटघरे में खडा कर कडी फटकार लगानी पडी।
सिरसा से करीब 250 किमी दूर है पंचकूला, जहां सीबीआई की अदालत में न्यायमूर्ति जगदीप सिंह दोहपर 2.30 बजे अपना फैसला सुनायेंगे।
लाखों भक्तों के उमडने से पंचकूला व सिरसा में सेना तैनात है। हरियाणा व पंजाब में दो दिन विद्यालय बंद है।
पंचकूला, चण्डीगढ़ में हजारों हजार डेरा भक्तों के दिन रात हुए जमवाडे से उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार को लगायी कड़ी फटकार। उच्च न्यायालय ने कहा अगर पुलिस प्रषासन के बस में नहीं है तो वे सेना को तेनात करने का निर्देश दे सकते है।
हरियाणा, दिल्ली पंजाब, हिमाचल आदि प्रदेशों से चण्डीगढ़ व पंचकूला के लिए बसें नहीं चल रही है। । करीब 200 से अधिक रेल गाडियों को रद्द कर दिया गया है।
दिल्ली व हिमाचल से चण्डीगढ़, आदि जगह जाने वाली बसे बंद है। चण्डीगढ  सिरसा, पंचकूला आदि क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी।

सिरसा में डेरा के निकटवर्ती तीन गांवों में सुरक्षा बलो ने कडे प्रबंध किये है। पूरे स्थानों पर सुरक्षा कडी कर दी हैं। पंजाब व हरियाणा में हजारों हजार सुरक्षा जवान तैनात किये गये है। सेना को भी सतर्क रखा गया है।
गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा की स्थापना साल 1948 में शाह मस्ताना ने की थी। बर्तमान डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह ,1990 में डेरा सच्चा सौदे की गुरू गद्दी में आसीन हुए।  डेरा प्रमुख अपने करोड़ों समर्थकों, फिल्मों व निरंतर विवादों में चर्चित रहे। पंजाब व हरियाणा में सभी प्रमुख दलों में बाबा राम रहीम से चुनावों के समय आशीर्वाद लेने की होड़ लगी रहती है।
पुलिस व प्रशासन का पूरा ध्यान इस बात पर लगा है कि अगर न्यायालय का फैसला राम रहीम के खिलाफ आता है तो सडकों पर उमडे समर्थकों को केसे षांत रखा जाय और शांति व्यवस्था में कोई खलल न डाले इसके लिए समुचित उपाय किये गये है। शांति बनाये रखने के लिए दोपहर को शांति बनाये रखने के लिए सेना मार्च निकालेगी।

जिस  प्रकार से बापू आशा राम व संत रामपाल अलग अलग मामलों में जेल में लम्बे समय बंद है। यह देख कर डेरा समर्थकों को आशंका है कि कहीं डेरा प्रमुख को भी इस मामले में जेल में न डाल दिया जाय। इसी आशंका से डेरा के लाखों समर्थक सडकों पर है।
परन्तु फैसला आने के बाद पुलिस द्वारा पंचकूला में किये गये सुरक्षा के सभी इंतजाम धरे के धरे रह गये। हिंसक हुए डेरा समर्थकों ने न केवल पुलिस, प्रशासन, समाचार जगत की गाडियों में तोडफोड व आगजनी की, अपितु इन्होने आग बुझाने वाले बाहन को भी आग के हवाले कर दिया। सो से अधिक बाहनों को जलाने के बाद भी इन तत्वों का गुस्सा नहीं थमा। अंत में प्रशासन ने इनको यहां से खदेड़ने में सफलता पायी परन्तु तब तक हरियाणा सरकार की लापरवाही व अक्षमता का दण्ड हजारों लोग भुगत चूके थे।

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