मुप्पवरपु वेंकैया नायडू होगे भारत के नये उपराष्ट्रपति !
भैंरों सिंह शेखावत के बाद नायडू होगे भाजपा के दूसरे बडे नेता जो उपराष्ट्रपति बनेगे
देवसिंह रावत
1 जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिला, के चावटपलेम में 1 जुलाई 1949 को जन्में मुप्पवरपु वेंकैया नायडू भारत के अगले उप राष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है। जैसे ही 17 जुलाई को देश के राष्ट्रपति के चुनाव में राजग प्रत्याशी रामनाथ कोंविद की जीत के लिए मजबूत मतदान कराने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सिपाहेसलार व भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने राजग गठबंधन की तरफ से 17 जुलाई को उपराष्ट्रपति के लिए वर्तमान कबीना मंत्री वेकटया नायडू के नाम का ऐलान किया, वेसे ही देश के वरिष्ठ राजनीति के समीक्षकों ने मान लिया । भैंरों सिंह शेखवात के बाद वेंकट्या नायडू भाजपा के दूसरे बडे नेता होंगे जो उपराष्ट्रपति के पद पर आसीन होगे। पहली बार भारत में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जैसे तीन शीर्ष पदों पर आसीन होंगे संघ के स्वयं सेवक ।
भले ही सप्रंग ने गांधी जी के पोते कृष्ण गोपाल गांधी को अपना प्रत्याशी बनाया हो पर उपराष्ट्रपति के लिए लोक सभा व राज्य सभा के निर्वाचित सांसदों की संख्या के हिसाब से मोदी के नेतृत्व वाला राजग गठबंधन के पास पर्याप्त समर्थन है। खासकर जिस प्रकार से राष्ट्रपति के चुनाव में मोदी के कुशल नेतृत्व में राजग के रणनीतिकारों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली सप्रंग गठबंधन में भारी सेंध मार अपनी जीत का डंका मतदान से पहले से बजा दिया है।
राष्ट्रपति के पद पर उप्र के दलित परिवार में जन्मे भाजपा के संघ निष्ट वरिश्ट ं नेता रामनाथ कोविंद को आसीन करके की पूरी रणनीति को मतदान द्वारा अंजाम देने के दिन ही मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने भाजपा के दो बार के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री रहे वेंकटया नायडू को उपराष्ट्रपति के पद पर आसीन करने के लिए उनके नाम का ऐलान किया।
दक्षिण भारत में भाजपा के पांव जमाने वाले अग्रणी वरिष्ठ नेताओं में प्रमुख वेंकटया नायडू 2002 से 2004 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्तमान में श्री नायडू मोदी नेतृत्व वाली भारत सरकार के अंतर्गत शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्मूलन तथा संसदीय कार्य मंत्री हैं। इससे पहले, नायडू अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके हैं।
श्री नायडू ने वी.आर. हाई स्कूल, नेल्लोर से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और वी.आर. कॉलेज से राजनीति तथा राजनयिक अध्ययन में स्नातक किया। वे स्नातक प्रतिष्ठा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुये। तत्पश्चात उन्होंने आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की। 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुये। कुछ दिनों तक वे आंध्र प्रदेश के छात्र संगठन समिति के संयोजक भी रह चुके हैं।
वेंकैया नायडू 1972 में जय आंध्र आंदोलन के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए। नेल्लोर के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुये विजयवाड़ा से आंदोलन का नेतृत्व किया। छात्र जीवन में उन्होने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से प्रभावित होकर आपातकालीन संघर्ष में हिस्सा लिया। वे आपातकाल के विरोध में सड़कों पर उतर आए और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। आपातकाल के बाद वे 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2002 से 2004 तक उन्होने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का उतरदायित्व निभाया। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे और वर्तमान में वे भारत सरकार के अंतर्गत शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्मूलन तथा संसदीय कार्य मंत्री है। श्री नायडू 1973-1974 में आंध्र विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। 1974 में लोक नायक जय प्रकाश नारायण युवजन छात्र संघर्ष समिति, आंध्र प्रदेश के संयोजक रहे। 1977-1980 जनता पार्टी की युवा शाखा, आंध्र प्रदेश के अध्यक्ष रहे। 1978-85 में आंध्र प्रदेष विधानसभा के दो बार सदस्य रहे। 1980-1985 में, आंध्र प्रदेश भाजपा विधायक दल के नेता रहे। 1985-1988 में आंध्र प्रदेश राज्य भाजपा के महासचिव, रहे । 1988-1993 में आंध्र प्रदेश राज्य भाजपा के अध्यक्ष रहे। 1993 – सितंबर, 2000 में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, सचिव, भाजपा संसदीय बोर्ड, सचिव, भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति, भाजपा के प्रवक्ता रहे। 1998 के बाद तीन बार कर्नाटक से राज्य सभा सदस्य, रहे। 1 जुलाई 2002 से 30 सितंबर 2000 में वाजपेयी के नेतृत्व वाली भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री रहे। 5 अक्टूबर 2004 से 1 जुलाई 2002 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, रहे। और 26 मई 2014 से मोदी सरकार में शहरी विकास और संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री है।
गौरतलब है कि भारत में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के तौर पर विधायी कार्यों में भी हिस्सा लेता है। उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा। उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान उपराष्ट्रपति के रूप में अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है। कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह (क) भारत का नागरिक है, (ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है (ग) राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है।
कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा। पर कोई व्यक्ति केवल इस कारण कोई लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ का राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल अथवा संघ का या किसी राज्य का मंत्री है। प्रायः उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा। पर उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकता है। राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन–(1) राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से उसके पद में हुई रिक्ति की दशा में उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा जिस तारीख को ऐसी रिक्ति को भरने के लिए इस अध्याय के उपबंधों के अनुसार निर्वाचित नया राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करता है।
(2) जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी कारण से अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है तब उपराष्ट्रपति उस तारीख तक उसके कृत्यों का निर्वहन करेगा जिस तारीख को राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को फिर से संभालता है।
उपराष्ट्रपति, राज्य सभा के ऐसे संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा जिसे राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत ने पारित किया है और जिससे लोकसभा सहमत हैय किंतु इस खंड के प्रयोजन के लिए कई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम से कम चैदह दिन की सूचना न दे। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि उपराष्ट्रपति का राज्य सभा का पदेन सभापति होना– उपराष्ट्रपति, राज्य सभा का पदेन सभापति होगा और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा। परंतु जिस किसी अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति, अनुच्छेद 65 के अधीन राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है, उस अवधि के दौरान वह राज्य सभा के सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करेगा और वह अनुच्छेद 97 के अधीन राज्य सभा के सभापति को संदेय वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होगा।
इस प्रकार मोदी ने देश में कांग्रेस मुक्त करने के अपने अभियान को आगे बढ़ाते हुए देश के तीनों सर्वोच्च पदों पर आसीन करने में सफल हुए। इसके साथ देश के अधिकांश प्रदेशों में भी भाजपा की सरकारें आसीन करने में लगे है। अपनी सटीक राजनीति के दावों से मोदी ने न केवल विपक्ष को करारी मात दे दी है अपितु उसकी एकता भी छिन्न भिन्न कर दी हैं