देवसिंह रावत-
भले ही भारत व पाकिस्तान में कोई समानता नहीं है। पाकिस्तान कहां विश्व की अमन शांति पर आतंक का ग्रहण लगाने वाले आतंकियों की माॅं व भारत विश्व को योग व मानवता की दिशा देने वाला महान देश। जहां भारत एक तरफ विश्व का सबसे बडा लोकशाही का परचम फेहराने वाला, सबसे अधिक चिकित्सक, वैज्ञानिक, इंजीनियर, वीर जांबाज, चिंतक, मनीषियों व विश्व विख्यात उद्यमियों का देश, जो विश्व की सबसे तेजी से विकास की कुचालें भरने वाली विराट अर्थव्यवस्था। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान आतंकियों की ऐशगाह का देश, विश्व का सबसे खतरनाक आतंकी ओसमा बिन लादेन, अलकायदा, तालिबान, लश्कर, इस्लामी आतंक सहित असंख्य खुंखार आतंकी सरगनाओं की ऐशगाह। भारत जहां विश्व की आर्थिक व सामरिक महाशक्ति बनने की तरफ कूचालें भर रहा हैं वहीं पाकिस्तान पहले अमेरिका का और अब चीन का उपनिवेश बन गया है। भारत जहां विश्व का सबसे बडा मजबूत लोकतांत्रिक देश है तो पाकिस्तान सैनिक तानाशाही के बूटों के नीचे रौंदे जाने वाला देश बना हुआ है। भारत में जहां पूरी व्यवस्था जनता व संविधान से संचालित होती है। वहीं पाकिस्तान की पूरी व्यवस्था पहले अमेरिका व अब चीन के इशारे पर फोज के रहमोकरम पर सांस लेती है।
भले ही अंग्रेजों ने जाते जाते भारत को कभी विश्व का बडा देश न बन जाये इसके लिए इसके दो टूकडे करके एक टूकडे को पाकिस्तान नाम दिया। नाम जरूर पाकिस्तान रखा पर यहां पर सारा काम शैतान का ही हो रहा है। पाकिस्तान की हर कोशिश अपने बडे भाई भारत को तबाह करने के साथ विश्व की अमन शांति को तबाह करने की ही होती है। यहां निर्माण व अमन चैन का काम के बजाय बम धमाके व मारकाट का ही काम होता है। ऐसा लगता है यह पाकिस्तान न हो कर कब्रिस्तान बन गया है।
इसके बाबजूद दोनों देशों मे कुछ समानता जरूर है। दोनों देशों का गुणसूत्र एक है। होगा क्यों नहीं दोनों के पूर्वज एक ही थे। पहली समानता यह है कि दोनों देश के नेता व नौकरशाह भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात है। पर पाकिस्तान में इस लूट में सेना भी पीछे नहीं है।
यही नहीं वहां पर देश के विकास के बजट का बडा भाग आतंकियों के पालन पोषण व उनकी तिजोरियां भरने के लिए पानी की तरह बहाया जाता है।
वेसे भारत व पाकिस्तान के नेताओं में अपने अपने देश को भ्रष्टाचार की गर्त में धकेलने की अंधी प्रतियोगिता चलती रही। दोनों देश में लोगों को देश में कौन सा नेता भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं है उसका नाम ढूंढने में परेशानी होती है। ऐसा नहीं है कि जिनका नाम आ जाये वे ही भ्रष्टाचार कर रहे होते है। जिन लोगों के नाम की चर्चा भ्रष्टाचार के आरोपों में कोर्ट कचहरी या खबरिया जगत में होती है, वे या तो वे होते हैं जिनको व्यवस्था में काबिज लोगों द्वारा निशाने पर लिया जाता है या जो अनाडी होते है। नहीं तो अरबों डकारने वाले ऐसे भी हैं जिन पर व्यवस्था मेहरवान होती है तो उनका बाल भी बांका नहीं होता है। उन पर भ्रष्टाचार का मामला चलता ही नहीं या चलता है तो ऐसा कमजोर बना दिया जाता है कि वाद न्यायालय की देहरी में कहीं ठहर नहीं पाता है।
इन सबके बाबजूद वर्तमान में भारत व पाक में दो ऐसे नेता हैं जिन्होने अपने अपने देश की अदालतों व खबरिया जगत में भ्रष्टाचार का परचम थामा हुआ है। ये दोनों है भारत के लालू यादव व पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ। दोनों अकेले अकेले नहीं अपितु अपने पूरे परिवार के साथ घोटाला करने के लिए आरोपित है। जहां लालू यादव अपनी पूर्व मुख्यमंत्री पत्नी रावडी देवी, वर्तमान उप मुख्यमंत्री व मंत्री बेटों व सांसद बेटी के साथ लारा घोटाले में आरोपी है। वहीं पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ऐसे दबंग नेता है। जिनका नाम ही केवल शरीफ है काम उनका भारत सहित विश्व में आतंक फेलाने वाले आतंकियों को संरक्षण देना। उसके बाद जो समय बच जाय उसमें भ्रष्टाचार जैसे प्रिय खेल खेल कर पाक में भ्रष्टाचार का परचम लहराना। नवाज का भ्रष्टाचार कितना बडा होगा उसका सरसरी आंकलन यही है कि सर्वोच्च न्यायालय को सत्तासीन प्रधानमंत्री के पानामा घोटाले की जांच करने के विशेष जांच दल के गठन के लिए मजबूर होना पड़ा।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जिनको सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर बनी संयुक्त जांच दल ने कुख्यात पानामा घोटाले के लिए अपनी जांच रिपोर्ट में प्रधानमंत्री शरीफ, उनके बेटे हसन नवाज, हुसैन नवाज और बेटी मरियम नवाज के खिलाफ नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो आर्डिनेंस 1999 की धारा नौ के तहत मामला दर्ज करने की सिफारिश की है। संयुक्त जांच दल ने कहा है कि शरीफ और उनके परिजन लंदन में खरीदी गई महंगी संपत्ति के लिए पैसे का स्रोत बताने में असफल रहे। इससे पहले सुबूतों को कई बक्सों में लेकर जांच दल के सदस्य सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे, वहां उन्हें दल के प्रमुख वाजिद जिया ने दाखिल किया। 2016 में हुए पनामा पेपर लीक में पाक प्रधानमंत्री की तीनों संतानों के नाम पर खनन कंपनियां और अन्य संपत्ति होने की बात सामने आई थी। अघोषित संपत्तियों में लंदन के पार्क लेन के चार महंगे फ्लैट भी शामिल हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी, अवामी मुस्लिम लीग और जमात-ए-इस्लामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके शरीफ को संसद की सदस्यता के अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मई में संयुक्त जांच दल का गठन किया था। ऐसा लंदन में 1990 के आसपास खरीदी गई जायदाद के लिए धन का कोई स्त्रोत न मिलने पर किया गया था। जेआइटी ने जांच में कई वर्तमान और पूर्व अधिकारियों के बयान दर्ज किए हैं।
पनामा पेपर लीक मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को झटका लगा है। इस मामले में पाक के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर बनाई गई संयुक्त जांच दल ने शरीफ और उनके परिजनों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज करने की सिफारिश की है। संयुक्त जांच दल ने शरीफ और उनके बच्चों के पास आय से अधिक संपत्ति होना पाया है। जांच दल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में रिपोर्ट दाखिल की।
लालू यादव भले ही बिहार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हों पर वे देश के अभूतपूर्व रेलमंत्री रहे और वर्तमान में मोदी के बाद विपक्ष में बडे दल के नेता न होने के बाबजूद सबसे चर्चित नेता है। ऐसे नेता है जिनको चारा घोटाले में दोषी पाये जाने के बाद जेल की सजा भी भोग चूके है। वर्तमान में वे 5 साल की सजा के दौरान जमानत पर बाहर हैं परन्तु उन्होने वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी को बेताज करने के लिए देशव्यापी ऐसा उद्यम मचा रखा है। कि मोदी सरकार को भी उन पर अंकुश लगाने के लिए ज्यादा उछल कूद कर रहे लालू यादव के रेलमंत्री रहने के कार्यकाल का एक प्रकरण की कब्र खोदनी पडी। वरना भारत में किसे है फुर्सत भ्रष्टाचार की जांच करने की, यहां पहले ही व्यापकं से लेकर दर्जनों भ्रष्टाचार के पहाड़ खडे है। देश की सत्ता में आसीन मोदी व शाह को विश्वास है कि अवसरवादी नीतीश जरूर अपनी विश्वासघाती प्रवृति के कारण भाजपा की तरह लालू को भी दगा देगा या भाजपा के जाल में फंसेगा।
चाहे लालू व उसके समर्थक लालू राग जपते हुए कहते रहे कि जब तक समोसे में आलू रहेगा तब तक बिहार में लालू रहेगा या लालू वंचितों, शोषितों,गरीबों, पिछडे व अल्पसंख्यकों का रहनुमा है। परन्तु देश के लोग लालू को भ्रष्टाचार का पर्याय व हंसी मजाक का हास्य कलाकार ही मानते है। परन्तु दोनों ने भ्रष्टाचारी दौलत से अकूत सम्पतियां व फार्म हाउस खरीदे। भले ही लालू जमीन, बिहार, दिल्ली, आदि शहरों तक सीमित रहे। नवाज शरीफ का परिवार ने लंदन आदि शहरों में बडे बंगले लिये। इस मामले में शरीफ ने लालू को पीछे छोड़ दिया। वेसे लंदन में बंगला लेने के पीछे उनकी मजबूरी भी थी कि अगर सेना उनको अपदस्थ करे तो भाग कर लंदन आदि शहरों में ही भागना पडेगा। लगता है उनका खाडी देशों से भी मोह भंग हो गया। क्योंकि पिछली बार मुशर्रफ के समय वे निर्वासित जीवन खाडी देशों में गुजारे थे। हालांकि कहने को लालू यादव गोपालक व किसान है पर नवाज शरीफ उद्योगपति घराने से तालुक रखते है। वेसे अब कर लो दुनिया मुट्ठी वाले जमाने का दस्तुर ऐसा ही लग रहा है कि जो जीतना बडा उतना अधिक लूटेरा। जो लूट नहीं रहा है वह उतना बुद्धु और जो संस्कारित ढंग से बोले या दूसरों का सम्मान करे उसे पप्पू कह कर उपहास उडाया जाता है। जो जीतना बडा बदमाश व गुण्डा उसे उतना बडा दबंग व भाई कह कर पुकारा जाता है।
अब देखना यह है कि कोन पाकिस्तान व भारत में भ्रष्टाचार का परचम लहराता है। चारा के बाद लारा में घिरे लालू या प्रधानमंत्री होने के बाद भी पानामा प्रकरण करने को उतारू पाक का शरीफ। इन भ्रष्टाचार के महारथियों के तिकडम देख कर देश व समाज के लिए अपना सबकुछ निछावर करने वाले दोनों देशों के तथाकथित पप्पूओं को तो होना ही मर्माहित है।