उत्तराखंड

गढवाल विश्वविद्यालय परिसर में लगायी जाय ऋषि बल्लभ सुंदरियाल की मूर्ति

भारतीयता के ध्वजवाहक रहे उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के प्रणेता ऋषि बल्लभ सुंदरियाल

नई दिल्ली(प्याउ)। क्रिएटिव उत्तराखंड-म्यर पहाड़ एवं ऋषि बल्लभ विचार मंच के तत्वावधान में हिमालय के सरोकारों के जीने वाले उत्तराखंड राज्य आंदोलन के ध्वजवाहक, गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रणेता स्व ऋषि बल्लभ सुंदरियाल जी की 41वीं पुण्य तिथि पर दिल्ली के गढवाल भवन में पहली जुलाई को एक विचार गोष्टी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ऋषि बल्लभ सुंदरियाल जी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी।  इस अवसर पर लोकगायक स्वर्गीय चन्द्र सिंह ‘राही’ एवं जनसरोकारो से जुड़े पत्रकार स्वर्गीय राजेन्द्र धस्माना के पोस्टर का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड के शीर्ष  लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना  की गयी। गोष्ठी में प्रस्ताव पारित किया गया कि गढ़वाल विश्वविद्यालय परिसर में स्वर्गीय श्री ऋषि बल्लभ सुंदरियाल के नाम से किसी क्षेत्र का नाम रखा जाए और विश्वविद्यालय परिसर श्रीनगर में उनकी मूर्ति लगाई जाए।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार चारू तिवारी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अटल बिहारी शर्मा ने की। कार्यक्रम में ऋषि बल्लभ सुंदरियाल जी के संघर्षरूपि जीवन पर प्रकाश डालते हुए ऋषि बल्लभ सुंदरियाल जी के सुपुत्र प्रेम सुन्दरियाल ने समारोह में पधारे सभी सज्जनों तह दिल से स्वागत व आभार प्रकट किया।

इस अवसर पर अपने विचार प्रकट करते हुए प्यारा उत्तराखण्ड  के सम्पादक व राज्य गठन आंदोलन के प्रमुख आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने ऋषि बल्लभ सुंदरियाल को भारतीय संस्कृति का ध्वजवाहक बताते हुए उन सरोकारों के लिए हुई उनकी निर्मम मृत्यु के लिए उनको शहीद बताते हुए उनकी स्मृति को नमन् किया।
इस अवसर पर अन्य महत्वपूर्ण वक्ताओं में वरिष्ठ पत्रकार सुनील नेगी, प्रदीप बेदवाल, सतेन्द्र रावत, आम आदमी पार्टी के नेता दीवान सिंह नयाल दीवान सिंह नयाल, देवेन्द्र बिष्ट, बिहारी लाल जलंधरी, पृथ्वी सिंह केदारखण्डी, पर्वतीय कांग्रेस के अध्यक्ष  बृजमोहन उप्रेती, अग्रणी समाजसेवी थानसिंह जोश, विनोद बनकोटी, जगमोहन जिज्ञासु राकेश नाथ, मजदूर आंदोलन से जुड़े हुए साथी शंभू नाथ शुक्ला, जसवंत सिंह रावत, मोहन जोशी अलकनंदा पत्रिका के संपादक विनोद ढौडियाल, पवन कांडपाल, सतीश शर्मा, राकेश ढोंडियाल, दीप्ति डोंगरी, हर्षपति मुंडे,  पी जमुना देवी सुंदरियाल,  सहित अनैक समाजसेवियों ने अपने विचार रखे।

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