देवसिंह रावत
जिस समय भारत के प्रधानमंत्री मोदी व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पूरे विश्व से इस्लामिक आतंक के सफाया करने के लिए व्हाइट हाउस में शपथ ले रहे थे, उस समय भारत को तबाह करने में जुटे हुए आतंकी पाक व चीन, भारत की गैरत को ललकार रहे थे। पाकिस्तान एक तरफ कश्मीर में आतंकियों व अपनी सेना से निरंतर हमला कर रहा है। आतंकी पाक के हमले रोकने में हमारे जांबाज सेनिक आये दिन शहीद हो रहे है। भारत सरकार को समझ लेना चाहिए कि मित्रता उसी से होती है जो सहृदय हो, हितैषी हो और मित्रता का अर्थ सयझता हो। जो मित्र होने की आड में मित्र को तबाह करने यानी अहित करने की धृष्ठता करे ऐसे तत्वों से जितनी जल्दी हो सके सम्बंध तोड़ देना ही बुद्धिमता है। यहां पर हैरानी वाली बात यह है कि चीन व पाक निरंतर दशकों से भारत को तबाही में लगे हैं। ऐसी स्थिति में न केवल दोनों आस्तीन के सांप साबित हो रहे पाक व चीन से राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक सम्बंध पूरी तरह से तोड़ देने चाहिए। जिससे चीन व पाक की अक्ल ठिकाने लगेगी और देश की सुरक्षा भी मजबूत होगी।
वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान का नया आका चीन एक तरफ पाकिस्तान को निरंतर भारत पर आतंकी हमले करने के लिए संरक्षण दे रहा है। वहीं दूसरी तरफ वह कभी चमोली तो कभी सिक्कम में भारतीय सीमा का उलंघन व अतिक्रमण करने के बाद भारतीय तीर्थ कैलाश मानसरोवर की यात्रा को ही रोक दे रहा है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि भारतीय एकता व अखण्डता को तार तार करने वाले पाकिस्तान को भारतीय हुक्मरान करारा सबक सिखाने के बजाय उसे सबसे मित्र राष्ट्र का दर्जा बेशर्मी से दिये हुए है। ऐसी स्थिति में चाहिए था कि अविलम्ब पाक को आतंकी देश घोषित करके उससे सभी सम्बंध तोड़ देना चाहिए।
वहीं काम चीन भी कर रहा है। वह न केवल भारतीय सीमा का अतिक्रमण कर रहा है अपितु भारतीय बंकरों को भी नष्ट कर रहा है। ऐसे में जब चीन की अर्थव्यवस्था के लिए विश्व की सबसे बड़ा बाजार भारत की जरूरत होने के बाबजूद, चीन बेखौप भारत को धमकाते रहता है। धमकाना तो सामान्य बात है। चीन तो भारतीय हितों को एक प्रकार से रौंद रहा है। अब तो चीन भारत को धमकी भी देने लग गया है।
चीन ने सिक्किम क्षेत्र में भारतीय जवानों के कथित रूप से सीमा पार करने पर आज भारत के सामने विरोध दर्ज कराया. उसने भारतीय सेना को तुरंत वापस बुलाने की मांग भी की. चीन ने साथ ही चेताया कि भविष्य में कैलाश मानसरोवर की भारतीय श्रद्धालुओं की यात्रा इस गतिरोध के समाधान पर निर्भर करेगी।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने जारी एक बयान में कहा कि अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता को बुलंद रखने को लेकर चीन रूख दृढ़ है. हम उम्मीद करते हैं कि भारत इसी दिशा में चीन के साथ काम कर सकता है और अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाए जो आगे चले गए हैं व चीनी सीमा में घुस गए हैं. हमने अपने महत्वपूर्ण रख के बारे में बताने के लिए बीजिंग और नई दिल्ली में गंभीर विरोध दर्ज कराया है।
चीन की हटधर्मिता जहां इस साल के कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी ग्रहण लग गया है। तिब्बत में घुसने की चीन के अनुमति नहीं देने के बाद गंगटोक वापस लौटने वाले कैलाश मानसरोवर जा रहे श्रद्धालुओं के भविष्य के बारे में लु कांग ने कहा कि सुरक्षा कारणों से उनकी यात्रा रद्द कर दी गई. उन्होंने श्रद्धालुओं की भविष्य की यात्रा को क्षेत्र से भारत द्वारा जवानों को हटाने से जोड़ा।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा कि जहां तक सिक्किम क्षेत्र में नाथू ला दर्रे से होकर भारतीय श्रद्धालुओं की यात्रा का सवाल है तो मुझे लगता है कि भारतीय पक्ष इसे लेकर बहुत स्पष्ट है। लंबे वक्त से चीन की सरकार ने भारतीय श्रद्धालुओं को जरूरी सुविधाएं देने के लिए बहुत प्रयास किए हैं।
सड़क निर्माण को लेकर विवाद ही वह वजह दिखाई दे रही है जिसके चलते चीन ने सिक्किम में नाथू ला दर्रे के जरिए तिब्बत में कैलाश और मानसरोवर के दर्शन करने के लिए रवाना हुए 47 भारतीय तीर्थयात्रियों के जत्थे को रोक दिया।
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता रेन गुओछियांग ने कहा कि हाल ही में चीन ने दोंगलांग क्षेत्र में एक सड़क का निर्माण कार्य शुरू किया था लेकिन भारतीय जवानों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर इसे रोक दिया।
वहीं सच्चाई यह है कि सीमा पर अतिक्रमण भारतीय सैनिकों ने नहीं अपितु चीनी सैनिकों ने रणनीति के तहत किया। भारतीय सीमा में घुसे चीनी सैनिकों के साथ न केवल भारतीय जवानों की धक्कामुक्की हुई अपितु चीनी सैनिकों ने सिक्किम क्षेत्र में घुसकर भारत के अस्थायी बंकरों को नुकसान पहुंचाया।
इन घटनाओं के साथ भारत में पाक के इशारे में देश में तमाम अराजक ताकतें देश में जानबुझ कर देश को बदनाम करने वाले विवाद खडा कर रहे है। जिससे देश में सामाजिक तनाव भी बढ़ रहा है। भारतीय संस्कृति की रक्षा करने के बजाय गौ सेवकों को बदनाम करने के लिए निरंतर षडयंत्र रचे जा रहे है।
भारत विरोधी ताकतें निरंतर भारत में अपने पैर पसार रही है। ऐसे में भारतीय हुक्मरानों को देश के हितों की रक्षा करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इसी के तहत पहला कदम पाक व चीन से सभी प्रकार के सम्बंध तोड़ कर देशद्रोहियों को कड़ाई से रौंदना चाहिए। भले ही अमेरिका व रूस भारत के साथ होने का दंभ भरे परन्तु भारत को पाकिस्तानी आतंक व चीन की दादागिरी से खुद ही निपटना पडेगा। यह आश लगाना कि अमेरिका भारत को बर्बाद करने वालों का सफाया करेगा। अमेरिका भारत को हथियार बेच सकता है। वेसे हथियार व करोड़ों डालर की सहायता भी दे सकता है और करोड़ों करोड़ डालर भी पानी की तरह बहा सकता है। परन्तु अमेरिका कभी दूसरे की जंग नहीं लड़ता। वेसे भी पाकिस्तान अमेरिका के द्वारा सहायता व हथियारों के बल पर ही पूरे विश्व की तबाही मचाने में सक्षम हो पाया। इसलिए पाकिस्तान व चीन पर अंकुश खुद पहले भारत को लगाना होगा। शेष श्रीकृष्णं हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।