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विवेकानंद के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व में लहराया भारतीय भाषा व भारतीय संस्कृति का परचम

विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका की यात्रा के दौरान (राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से हुई वार्ता, प्रेसवार्ता में ) प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भाारतीय भाषा में संबोधन कर भारत को गौरवान्वित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद। नहीं तो भारतीय नेताओं, नौकरशाहों सहित प्रबुद्ध व्यक्ति  की हालत प्रायः इतनी शर्मनाक थी कि वह ब्रिटेन, अमेरिका सहित विश्व के विभिन्न देशों में तो रहा दूर वह भारत में न्यायालय, कार्यालयों, बडे आयोजनों भी अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी में ही बोलने में अपने को गौरवान्वित महसूस करता। आज भी अधिकांश समृद्ध लोग अपने बच्चे को अंग्रेजी विधायलयों में ही पढ़ाते है। ऐसी गुलाम मानसिकता भरे देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे विश्व में भारतीय भाषा हिंदी में संबोधन करके पूरे विश्व में अंग्रेजी की गुलामी में जकडे हिंदुस्तानियों के सर से अंग्रेजी का भूत हटाने का सराहनीय प्रयास किया। अपितु पूरे विश्व को भारतीय भाषा व संस्कृति से रूबरू कराने का श्रेष्ठ कार्य किया। जिस प्रकार प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही समय बाद मजबूत प्रयास से प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे विश्व स्तर पर योग दिवस को मनाने में सफलता हासिल की उससे अब तक भारत में ही हेय समझे जाने वाला योग पूरे विश्व योगमय हो गया।
इस समय 27 जून की रात दस बजे प्रधानमंत्री मोदी नीदरलेण्ड के द हेग में भारतीय भाषा में वहां रहने वाले भारतीय प्रवासियों को संबोधित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की इस बात के लिए सराहना करनी चाहिए कि वे जिस देश भी जाते है वहां रहने वाले भारतीय समुदाय को वे अवश्व भारतीय भाषा में संबोधित करते है। चाहे रूस हो या अमेरिका, ब्रिटेन हो या फ्रांस, सूरीनाम, नीदरलेण्ड या अन्य देश वे अपने सरकारी दोरे को केवल ओपचारिक न बना कर वहां रहने वालों के दिलों में भारतीयों के दिलों में भारतीयता का दीपक ही नहीं अपितु सूर्य रोशन कर देते है।

नीदरलैण्ड में प्रवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने व्यंग करते हुए कहा कि जो लोग अभी अभी भारत से विदेशों में आये हैं उनको भले ही हिंदी बोलने व समझने में दिक्कत भले ही हो पर जो लोग सूरीनाम सहित विश्व के विभिन्न देशों में बसे लोग आज भी भारतीय भाषाओं को बोलने व समझने में दिक्कत नहीं होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर भारतीय विदेशों में राष्ट्रदूत है। संसार का हर धर्म, हमारे देश में है। जो समाज अपनी जड़ों से जुडो रहता है वह वह देश व समाज सदैव जीवंत रहता है। पासपोर्ट का रंग भले ही अलग अलग हो परन्तु हमारे खून नहीं बदला। हमारे पूर्वज एक हैं। विवेकानंद के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे विश्व में भारतीय भाषा व भारतीय संस्कृति का परचम लहराने का कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। आशा है प्रधानमंत्री मोदी, देश में भारतीय संस्कृति व देश की लोकशाही पर ग्रहण लगाने वाली अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति दिला कर शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन में भारतीय भाषाओं को लागू करने का ऐतिहासिक कार्य करेंगे।

भले ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल द्वारा संयुक्त राष्ट्र में दिया गया भाषण को कुछ लोग मील का पत्थर बताते हैं परन्तु समग्रता में मोदी ने अपने तमाम पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों को भारतीयता का परचम लहराने में कई पीछे छोड़ दिया है।
संयुक्त राष्ट्र वाला भाषण मात्र उसी जगह पर था, परन्तु मोदी हर जगह भारतीय भाषा व भारतीय संस्कृति का परचम लहरा रहे हैं मात्र 3 साल में योग को विश्व में स्थापित कर दिया। मोदी व अटल में जमीन आसमान का फर्क है। मोदी भारतीय संस्कृति को आत्मसात भी करते है।

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