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गंगा जल देश विदेश में पंहुचा कर हर साल अरबों रूपए अर्जित कर सकता है उत्तराखंड

 

मोदी के राज में डाकघर में भी बिकने लगा गंगा जल

संसद मार्ग डाकघर में 100मिली वाली शीशी 15रू. की।

देव सिंह रावत

19जून को जैसे ही मैं अखबार के लिए डाक टिकट लेने गया तो वहां पर टिकट वितरण करने वाली कर्मचारी 15छोटी प्लास्टिक की बोतलें लाती, जिनमें से कुछ दो लोगों ने खरीद रखी।
मैं हैरान रह गया। 100मिली पावन गंगा जल को 15रु में बेचा जा रहा है,तो जिस प्रदेश में पतित पावनी गंगा अवतरित होती है,अगर वह उत्तराखण्ड सरकार गंगा जल को सभी तीर्थों, पर्यटन नगरियों, देश विदेश विदेश में हिमाचल सरकार द्वारा सेब काम जूस बेचने की तरह ईमानदारी व मेहनत से कार्य करें तो गंगा जल से ही प्रदेश की दिशा व दशा दोनों सुधर सकती है। जरुरत है है इस प्राकृतिक संसाधन को निजी लूट खसोट की योजनाओं से बचा कर, खुद काम करने की। केन्द्र सरकार को इस योजना में संरक्षक की भूमिका निभा सकती है।
उत्तराखंड के सामने सबसे बड़ी बाधा है कि यहां पर हिमाचल के परमार वंश वीरभद्र की तरह काम प्रदेश के संसाधनों कारण प्रदेश के हित में सदप्रयोग करने वाला नेतृत्व काम न रहना। यहां 17सालों में दिशाहीन,संकीर्ण, दलों के प्यादे व सत्तालोलु मुख्यमंत्री मिले। प्रदेश की जनाकांक्षाओं को साकार करने के बजाय निहित स्वार्थों​, प्यादों व दलीय आकाओं की पूर्ति में प्रवेश करा चहुमुखी विकास करने कारण बहुमूल्य समय बर्बाद करके प्रदेश को पतन के गर्त में धकेल दिया है। गैरसैण व प्रदेश के हक हकूको की उपेक्षा कर प्रदेश को लूट खसोट काम अड्डा बना दिया है।
ऐसे में गंगा जल जैसे प्रदेश की काया पलट कर सकने वाले संसाधनों की सुध लेने की फुर्सत ही प्रदेश के हुक्मरानों के पास कहां है। भगवान बदरी केदार जी मुख्यमंत्री को उत्तराखंड की सुध लेने का विवेक भी प्रदान करते तो प्रदेश का कायापलट हो जाता।

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