मुजफ्फरनगर काण्ड-94 की तरह ही राष्ट्रीय राजमार्ग -74 घोटाले का हस्र होने की आशंका!
राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के घोटाले पर सरकार ढुलमुल रवैये से जनता में भाजपा की पिट रही भद से उबरने के लिए होगी सीबीआई जांच
देवसिंह रावत
राष्ट्रीय राजमार्ग -74 घोटाले में भारी किरकिरी होने के बाद अंततः सीबीआई जांच होने का ऐलान ने भाजपा सरकार को क्षणिक सकुन भले ही दे दिया हो पर प्रदेश की जागरूक जनता को आशंका है कि राष्ट्रीय राजमार्ग -74 घोटाले की सीबीआई जांच का भी मुजफ्फरनगर काण्ड-94 में हुई सीबीआई की जांच की तरह ही हस्र न हो जाय! इन दोनों काण्डों के असली गुनाहगारों को सजा देने में तो रही दूर इनको गुनाहगार बनाने की हिम्मत सीबीआई नहीं कर सकी।
उत्तराखण्ड में जनता ही नहीं अपितु राजनीति के धुरंधर भी यह देख कर हैरान है कि कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के राज में हुए राष्ट्रीय राजमार्ग -74 का घोटाला, कांग्रेस के लिए नहीं अपितु भाजपा व उसकी उत्तराखण्ड सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। इस मामले में विधानसभा से लेकर सडक में जिनके राज में यह घोटाला हुआ वह कांग्रेस बहुत ही हमलावर हो रखी है। हर जगह भाजपा पर निशाना साधते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग -74 का घोटाला उठा रही है। वहीं जिस भाजपा व उसकी सरकार को हमलावर होकर कांग्रेस को बेनकाब करना था वह लाचार असहाय व निरूतर हो कर सडक से लेकर विधानसभा में बगलें झांकने के लिए मजबूर हो रखी है।
भाजपा की इस स्थिति के लिए और कोई नहीं अपितु प्रदेश भाजपा की सरकार व केन्द्र की भाजपा सरकार ही जिम्मेदार है। जिन्होने बिना सोचे बिचारे थोक के भाव में कांग्रेस सरकार के मंत्रियों व नेताओं को भाजपा में अपने सभी सिद्धांतों को दरकिनारे करके सत्ता मोह में आत्मसात किया और तत्कालीन सरकार गिराने का असफल प्रयास कर देशभर में अपनी जगहंसाई भी करायी। शायद उसी का दंश अब भाजपा की किरकिरी करा रहा है।
यही नहीं उत्तराखण्ड में सत्तासीन होने से पहले व सत्तासीन होने के बाद भी बडे जोश से राष्ट्रीय राजमार्ग -74 का घोटाला उठा कर इसके दोषियों को जेल भेजने की हुंकार भरी थी। भाजपाई नेता व सरकार कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का घोषणायें कर रहे थे। परन्तु चंद महिनों बाद अचानक भाजपा ने इस मामले में ढुलमुल रवैया अपना दिया। जनता में छन कर ऐसी खबरें सुनायी दी कि केन्द्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री गडकरी नहीं चाहते कि इस मामले की सीबीआई जांच हो। उनकी एक ऐसी चिट्टी भी आने की खबरें सुनने में आयी कि जिसमें कहा गया कि वे राष्ट्रीय राजमार्ग -74 का घोटाला की सीबीआई की जांच कराने से राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों का मनोबल कमजोर करने वाला कदम मानते है। ऐसी एक खबर आयी कि राष्ट्रीय राजमार्ग -74 घोटाले के एफआईआर में सेे अधिकारियों का नाम हटाने के लिए नैनीताल उच्च न्यायालय में पैरवी की। इन खबरों के पीछे सच्चाई कितनी थी यह तो प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ही जाने पर लोग यह देख कर हैरान रह गये कि भ्रष्टाचारियों को दण्डित करने की हुंकार भरने वाली प्रदेश की भाजपा सरकार ने उस अधिकारी को स्थानांतरण कर दिया जिसने यह मामला उजागर किया था। इससे पूरे प्रदेश में भाजपा व उसकी सरकार की काफी भद पिटने लगी। संभवतः लोगों में भारी किरकिरी होते देख कर भाजपा के रणनीतिकारों ने इस प्रकरण की जांच सीबीआई से ही कराने का निर्णय लिया। इसका ऐलान उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने उत्तराखण्ड विधानसभा में किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में औपचारिक नोटिफिकेशन होते ही सीबीआई अपनी जांच शुरू कर देगी। मुख्यमंत्री के इस ऐलान से जहां प्रदेश भाजपा सरकार और किरकिरी होने से बच गई है, वहीं विपक्ष के हाथ से सरकार को घेरने का एक बड़ा मुद्दा भी छिन गया है। सीबीआई की जांच भी इस काण्ड के मुख्य दोषी को सलाखों के पीछे डाल पायेगी ऐसा विश्वास प्रदेश की राजनीति के मर्मज्ञों को नहीं है। कांग्रेसी जानते हैं कि भाजपा सरकार की हिम्मत नहीं कि इस काण्ड के पीछे असली गुनाहगारों को सजा देने में अगर भाजपा सरकार तैयार रहती तो सत्तासीन होने के बाद सीबीआई की जांच करने की हुंकार भरने वाली सरकार इतने समय तक ढुलमुल रवैया नहीं अपना कर जनता में अपनी इतनी भद नहीं पिटाती। इस काण्ड के सहायक गुनाहगार रहे अधिकारियों को बचाने का शर्मनाक कुतर्क देने का काम नहीं करती। इस प्रकरण को उजागर करने वाले अधिकारी का स्थानांतरण नहीं करती।
पर जब भाजपा के इस ढुलमुल रवैये का प्रदेश की जागरूक जनता ने काफी विरोध किया तो लगता है भाजपा की साख बचाने के लिए सीबीआई की जांच को मंजूरी दिलायी गयी। इस मामले में यह तय माना जा रहा है कि मुजफ्फरनगर काण्ड की तरह ही इस काण्ड में भी असली गुनाहगारों को बचा कर केवल बिना सर के प्यादों को लपेट कर जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम किया जायेगा।
गौरतलब है मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के असली गुनाहगारों को बचाने के लिए यहां पर आसीन कांग्रेस व भाजपा की सरकारों ने न्याय का गला घोंटने के कृत्य किये। केवल जनता के आंखों में धूल झोंकने के लिए अब यह मुकदमा चलाया जा रहा है। जबकि असली गुनाहगारों को बेशर्मी से कमजोर पैरवी करायी गयी। क्योंकि कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा आदि दलों को इस काण्ड में फंसे अपने प्यादे व दामन बचाना था। यही नहीं जिस शर्मनाक ढंग से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले को जमीदोज कराया गया। इसमें देश की तमाम राजनैतिक दल गुनाहगार रही। जिस प्रकार से उत्तराखण्ड में भाजपा व कांग्रेस ने मुजफ्फरनगर काण्ड व राज्य गठन विरोधी तत्वों को शर्मनाक संरक्षण दिया,उसको देख कर प्रदेश के जागरूक लोगों का इनसे विश्वास ही उठ गया। अगर इस काण्ड की निष्पक्ष जांच हो जाये तो प्रदेश के ये तमाम छत्रप कहीं भी मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे।
अब राष्ट्रीय राजमार्ग-74 के प्रकरण में ही कुछ अधिकारी गिरफ्तार करने व कुछ को निलंबित किया जायेगा। उसके बाद अंतहिन न्याय विवाद होगा। हो सकता है कुछ कर्मचारियों को दण्डित भी किया जाय परन्तु जनता को ऐसा विश्वास है कि जिनके संरक्षण में यह घोटाला हुआ उन पर मुजफ्फरनगर-94 काण्ड की तरह कोई आंच नहीं आयेगी।