शिक्षकों के साथ पूरे प्रदेश के कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों की जांच की जरूरत है
शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच के लिए सरकार द्वारा विशेष जांच दल के गठन से सरकारी कर्मचारियों में मचा हडकंप
’देहरादून (प्याउ)। प्रदेश में शिक्षा विभाग में कार्यरत सभी शिक्षकों के सभी प्रमाणपत्रों की जांच करने के लिए सरकार द्वारा विशेष जांच दल के गठन के ऐलान के बाद प्रदेश में संख्या के आधार पर सबसे बडे विभाग शिक्षा विभाग में ही नहीं प्रदेश के तमाम कर्मचारियों में हडकंप ही मच गया है। प्रदेश के कर्मचारियों में डर का एक कारण यह भी है कि कहीं शिक्षा विभाग की तरह प्रमाण पत्रों की जांच का दायरा प्रदेश के सभी कर्मचारियों तक बढ़ गया तो क्या होगा। ऐसी आशंका है कि प्रदेश में राज्य गठन से पहले मुलायम व माया शासन तथा उसके बाद उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद यहां पर कर्मचारियों की नियुक्ति में भारी अनिमियतायें बरती गयी। अगर इसकी सही जांच हो गयी तो सैकड़ों नहीं हजारों की संख्या में ऐसे फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्ति पाये कर्मचारियों को कटघरे में खडा होना पडेगा। जब हल्की सी जांच में गत वर्ष शिक्षा विभाग में 78 शिक्षक कटघरे में खडे हुए। तो ईमानदारी से प्रदेश के सभी कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों की जांच की जाय तो प्रदेश के तंत्र में भूकंप आ सकता है।
हालांकि शिक्षा विभाग में विशेष जांच दल के गठन का सरकार का कदम कोई अप्रत्याशित भी नहीं था। इस प्रकार के कदम की आशंका लम्बे समय से की जा रही थी। गौरतलब है कि गत वर्ष जबसे शिक्षा विभाग में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर शिक्षण कार्य में 78 शिक्षकों के मामला प्रकाश में आने के बाद प्रदेश के शिक्षा विभाग में भारी कशमकश बना हुआ था।
इस विशेष जांच दल की कमान सीबीसीआईडी की एसएसपी श्वेता चैबे सौंपी गई है। इसमें 3 इंस्पेक्टर और 2 सब इंस्पेक्टर भी नियुक्त किए गए हैं।यह दल राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच करेगा। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के स्तर से जांच की सिफारिश पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विशेष जांच दल बनाने का निर्णय किया था। अपर मुख्य सचिव-द्वारा सभी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की सीबीआई या विजिलेंस जांच कराने का निर्णय किया था। जिसे वर्तमान शिक्षा मंत्री अर¨वद पांडे ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
प्रदेश गठन से पहले ही शिक्षा विभाग सहित अन्य विभागों में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सेवा में सैकडों अवांछनीय कर्मचारियों की नियुक्त होने की अटकलें लगायी जा रही थी। इन अटकलों पर मुहर तब लग गयी जब गत वर्ष शिक्षा विभाग में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे 78 शिक्षकों के मामले सामने आए थे। जांच में प्रमाणपत्र के फर्जी होने की पुष्टि होने पर पिछले साल 34 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था। इनमें हरिद्वार के 13 और ऊधमसिंह नगर के 16 शिक्षक शामिल थे।
इसके बाद अन्य विभागों में भी इसी प्रकार की नियुक्ति की आशंका प्रकट की जा रही है। जानकारों को आशंका है कि अगर सरकार प्रदेश सरकार में कार्यरत सभी कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों की जांच करने के लिए विशेष जांच दल गठित कर दे तो प्रदेश में सैकड़ों नहीं हजारों ऐसे फर्जी कर्मचारी मिलेगे जिनके पास शिक्षा, जाति, अनुभव व मूल निवास प्रमाणपत्र फर्जी पाये जायेगे।
आखिरकार सरकार ने 13 जून को शिक्षकों के शैक्षिक, जाति और अनुभव प्रमाणपत्रों की जांच के लिए पुलिस का विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर दिया गया। प्रदेश के पुलिस प्रमुख एमए गणपति ने 13 जून को एसआईटी के गठन के आदेश किए।