8 से 20 जून तक देहरादून में चलेगा बजट सत्र
देहरादून(प्याउ)। 8 से 20 जून तक उत्तराखण्ड विधानसभा का सत्र गैरसैंण के बजाय देहरादून में चलाने के विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की घोषणा से विधानसभा चुनाव में गैरसैंण को राजधानी बनाने के प्रदेश भाजपा के चुनावी वादे व विपक्ष में रहते हुए कांग्रेसी शासन काल में भाजपा की तरफ से विधानसभा पटल पर गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखने की मंशा पर सवालिया निशान लग चूका है। लोगों को आशा थी कि भगवान राम को अपना आदर्श मानने वाली भाजपा कम से कम अपने वचनों की लाज रखते हुए गैरसैंण राजधानी बनाने की तरफ कदम बढ़ाते हुए इस ग्रीष्मकाल में चलने वाली विधानसभा का सत्र तो देहरादून के बजाय गैरसैंण में आयोजित करायेगी।
राज्य गठन के बाद भाजपा व कांग्रेस की सरकारों द्वारा गैरसैंण राजधानी सहित तमाम मुद्दों पर जनता से बार बार किये गये विश्वासघात से निराश प्रदेश के हितों के लिए समर्पित जनता को थोड़ी सी आशा की किरण तीसरी विधानसभा में सत्तासीन कांग्रेस की सरकार से जगी थी। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने सतपाल महाराज की सलाहपर गैरसैंण की तरफ बढ़ाये गये पहले कदम को ऐतिहासिक परवान चढ़ाते हुए हरीश रावत ने जिस प्रकार से गैरसैंण में न केवल मंत्रीमण्डल की बैठके आयोजित की अपितु गैरसैंण में विधानसभा भवन, विधायक निवास सहित महत्वपूर्ण कार्यालय बना कर विधानसभा का एक सत्र नवनिर्मित विधानसभा भवन में आयोजित करने का ऐतिहासिक काम किया। दुर्भाग्य प्रदेश व हरीश रावत का यह रहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने सांसद प्रदीप टम्टा, विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल व उपाध्यक्ष अनुसुया प्रसाद मैखुरी सहित राज्य गठन आंदोलनकारियों के गैरसैंण में राजधानी घोषित करने के पुरजोर आग्रह को नजरांदाज करके, चुनावी तुष्टिकरण व पुन्न सत्ता में वापसी के अतिविश्वास के कारण गैरसैंण राजधानी घोषित न करने की ऐतिहासिक हिमालयी भूल कर दी। चुनाव में मिली अकल्पनीय हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को गैरसैंण राजधानी घोषित न किये जाने वाली हिमालयी भूल का अहसास राज्य आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने इसी पखवाडे चुनाव के बाद दिल्ली आगमन पर करा दिया था।
प्रदेश की राजधानी देहरादून में ही थोपे जाने से सीमान्त जनपदों सहित प्रदेश के तीन चैथाई जनपदों का प्रतिनिधित्व करने वाले पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, विकास व शासन का चक्र पूरी तरह से कूंद हो गया है। जिससे खौपनाक पलायन हो रहा है, जिससे न केवल राज्य गठन की अवधारणा पर प्रश्नचिन्ह लग गया है अपितु देश की सुरक्षा पर भी खतरा मंडराने लगा है। प्रदेश के जनप्रतिनिधियों जिनके कंधों पर प्रदेश की जनता ने प्रदेश के वर्तमान के साथ भविष्य को भी सजाने संवारने का दायित्व सौंप रखा है, उनको सत्ता की चकाचैध से इतना दिशाहीन बना दिया है कि न तो उनको अपने दायित्वों का भान है व नहीं प्रदेश के हितों का भान। इसी को भांपते हुए पंचतारा सुविधा भोगी भ्रष्ट नौकरशाही, नेताओं को गैरसैंण सहित प्रदेश की जनांकांक्षाओं से दूर रहने के लिए मंथरा की तरह मोहपाश में ंबांधे हुए है। इसका मुख्य कारण है यहां के नेताओं में न तो हिमाचल के परमार व वीरभद्र की तरह अपने प्रदेश को विकास की राह में बढ़ाने की बुद्धि है व नहीं कुब्बत। दिल्ली दरवार के इन प्यादों ने अपनी तिजोरी भरने व प्रदेश के हितों को रौंदने के अलावा विगत 17 सालों से कोई दूसरा काम तक नहीं किया।
भले ही भाजपा के नेता अभी गैरसैंण के प्रति अधिकारिक बयान नहीं दे रहे है। परन्तु चुनाव में गैरसैंण में राजधानी बनाने की बात करने वाले भाजपा नेताओं कैसे सत्ता मिलते ही ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने की धूर्त लौमडी की तरह रंग बदलने लगे।
परन्तु ग्रीष्म कालीन राजधानी का राग भी शायद भाजपा सरकार के मठाधीशों को याद नहीं रहा या वे भूल गये बजट सत्र ग्रीष्म काल में ही हो रहा है। जिस प्रकार पूत के पांव पालने में ही दिखाई देते हैं उसी प्रकार भाजपा सरकार की गैरसैंण राजधानी बनाने की मंशा भी विधानसभा के बजट सत्र के ऐलान से उजागर हो गयी।
एक तरफ विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सत्ता में काबिज होने के लिए भाजपा व कांग्रेस सहित तमाम राजनैतिकं दल, गैरसैंण राजधानी बनाने सहित राज्य गठन आंदोलन व शहीदों की जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए अपने दल को पूर्ण समर्पित बताते हुए सत्तासीन होते ही इनकों साकार करने का वचन दे कर जनादेश का हरण करते है। परन्तु सत्तासीन होते ही सत्तामद में चूर होकर चुनाव के समय जनता से किये गये वादों को भूल कर जनता व प्रदेश के विकास की आशाओं पर कुठाराघात करते है।
गौरतलब है कि प्रदेश का बजट आठ जून को पेश होगा। विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल के निर्देश के बाद प्रदेश की चैथी विधानसभा का द्वितीय सत्र आठ जून से 20 जून तक देहरादून में फिर से चलेगा। प्रदेश विधानसभा के सचिव जगदीश चंद्र ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है। प्रस्तावित कार्यक्रम के मुताबिक आठ जून को वित्त मंत्री प्रकाश पंत 2017-18 के लिए बजट पेश करेंगे।