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पीएम मोदी ने लिया वहां का आशीर्वाद जहाँ जाने के बाद इंदिरा गांधी जी की मौत हो गयी थी ! अमरकंटक

नोएडा की तरह अमरकंटक जा कर बेताज होने की आशंका से कतराते है सत्तासीन नेता
 अमरकंटक(प्याउ)।  इंदिरा, पटवा, उमा, अर्जुन सहित जितने भी नेता मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री रहते हुए अमरकंटक(मध्य प्रदेश) हेलीकप्टर से गये वे सभी कुछ ही समय बाद बेताज हुए। इसी आशंका से घिरे लोगों के दिलो दिमाग में 15 मई को उस समय उठी जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चैहान के आमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी नर्वदा सेवा यात्रा के समापन के अवसर पर नर्वदा की उदगम स्थली अमरकंटक पंहुचे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने माॅ नर्वदा के पावन मंदिर में पूजा अर्चना कर माॅ नर्वदा का आशीर्वाद लिया। भले ही प्रधानमंत्री की अमरकंटक यात्रा से उनके विरोधी प्रसन्न हैं पर प्रधानमंत्री व उनके समर्थकों को विश्वास है कि माॅं नर्वदा के आशीर्वाद से अमरकंटक जा कर बेताज होने के ग्रहण से मोदी जी उबर जायेंगे। क्योंकि मोदी ने अपना पूरा जीवन जनहित व राष्ट्रहित के लिए समर्पित कर रखा है। वे आस्तीक है माॅं नर्वदा के दर्शन को निर्मल मन से गये।
गौरतलब है जिस प्रकार से नोएडा को लेकर उप्र के मुख्यमंत्रियों के दिलो दिमाग में एक खौप है। ठीक उसी प्रकार का खौप अमरकंट को लेकर मध्य प्रदेश के नेताओं में भी है। अंतर केवल इतना है अमरकंट जो नर्वदा का पावन स्थल है वहां पर हेलीकप्टर से जाने से नेता बचते रहते हैं। ऐसा माना जाता है अमरकंटक एक सिद्ध क्षेत्र है इस क्षेत्र में हेलीकप्टर से आने वाले सत्तासीनों के अहंकार को चूर होता है। इसलिए अधिकांश नेता अमरकंटक सड़क मार्ग से ही जाने को प्राथमिकता देते है।
अमरकंटक से जाने से वेसे ही मध्य प्रदेश व देश के नेता बचते रहते है जैसे नोएडा में तो उप्र के मुख्यमंत्री कदम रखने से ही कतराते है। यह चार-पांच मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल से उप्र में हो रहा है कि प्रदेश के सबसे बड़े औधौगिक शहर के रूप में ख्यातिप्राप्त नौएड़ा में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है।

 

अमरकंटक के खौप का इतिहास

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब 1982 में अमरकंटक के दौरे पर आईं, तो उसके दो साल बाद ही 1984 में उनकी हत्या हो गई. और म.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह अपने कार्यकाल के दौरान यहां आये थे, और बाद में उन्हें कांग्रेस ही छोड़नी पड़ी और बीजेपी की मौजूदा समय में केंद्र सरकार में मंत्री उमा भारती जब एमपी की सीएम थी, तब 2004 में वह यहां आईं थी, और उसके बाद ही उन्हें कुर्सी से हटना पड़ा था. और भी कई लोग है जिन पर अमरकंटक का अभिशाप लगा लेकिन पीएम मोदी इस मिथ्या को गलत साबित करने की कोशिश कर रहे है।

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