चमोली : उत्तराखण्ड में तिमुला का न तो उत्पादन किया जाता है और न ही खेती की जाती है। इनके पेड़ खुद ही उग जाते है, तिमुला के पेड़ काफी बड़े बड़े होते है, इनकी चौड़ी पतिया जानवरों को चारा के लिए दिया जाता है, त्यौहार में इनका उपयोग लोग अक्सर हलवा पूरी छोले आदि को खाने के लिए करते है। लोग इसके तिमुला के फल को बड़े चाव खाया करते है।
तिमुले के फल को जगल के पशु- पक्षियां भी खाते है। इसमें 12 महीनें फल होते रहते है।हमारी देव भूमि उत्तराखंड में विकास की बहुत सारी समस्याएं है जिसके कारण आज उत्तराखंड देश के अन्य राज्यों से बहुत पीछे है मुझे बहुत ही दुःख होता हे इस बात से की हम लोग क्यों पिछड़े हुए हे। इसके साथ ही समस्याएं भी ऐसी हे जो मुख्य रूप से नहीं होनी चहिये थी।
जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात के साधन ,पर्यटन, सड़क,आपदा राहत, प्रशासनिक व्यवस्था, खाद्य आपूर्ति, बिजली, पानी, दूरसंचार, कृषि और उद्यान, रोजगार,आदि बहुत सारी समस्याओं है अगर थोड़ा आप लोग भी अपनी देव भूमि उत्तराखंड को आगे बढाने में एक सुन्दर उत्तराखंड बनाने में लोगो और उत्तराखंड की समस्याओं को अपनी तरफ से दूर करने का जरूर प्रयास करे हम लोगो को जल्दी ही इस चीज के बारे में सोचना चाहिए। कैसे पलायन से जुड़े किसी भी बात पर आप भी अपनी राय हमें दे सकते हैं। देव भमि उत्तराखंड के विकास को लेकर अगर आपके पास कोई सुझाव हो तो अपनी बातें हम तक पहुचाये ।