नई दिल्ली(प्याउ)। 13 अप्रैल को 8 राज्यों की 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के परिणामो का भले ही देश की राजनीति में कोई बडा सियासी महत्व न रखे परन्तु दिल्ली की रजौरी गार्डन विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के मतगणना का परिणाम एक प्रकार से बडे तेजी से दिल्ली के सियासी आकाश में छाने वाली केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का सूर्यास्त का साफ संकेत
माना जा रहा है। जिस प्रकार से पंजाब व गोवा में मुंह की खने के बाद केजरीवाल की आप की दुर्गति अपने एकक्षत्र शासन दिल्ली में अपनी ही सीट पर हुई उससे साफ संकेत है कि दिल्ली के लोगों के दिलो दिमाग से केजरीवाल का जादू समाप्त हो गया है। इस पर रजोरी गार्डन के लोगों ने अपनी मुहर लगा दी है। बाकी रही कसर दिल्ली नगर निगम के चुनाव में 23 अप्रैल को होने वाले मतदान में दिल्ली की जनता दुनिया को बता देगी।
मध्य प्रदेश, कर्नाटक, बंगाल, हिमाचल, राजस्थान व असम आदि में हुए विधानसभा की रिक्त सीटों के उपचुनाव में जिस पार्टी के कब्जे में यह सीटें थी वही दल जीत रहा है। परन्तु दिल्ली में आम आदमी पार्टी के शासन में आप की ही इस सीट पर न केवल भाजपा भारी मतों से जीती अपितु इस सीट पर अभूतपूर्व बहुमत लाने वाली आम आदमी पार्टी तीसरे स्थान पर है। आप पार्टी को धकिया कर कांग्रेस इस सीट पर दूसरे स्थान पर रही। कुल मिला कर इन उप चुनाव में भाजपा ने अपना परचम लहराना जारी रखा है।
गौरतलब है कि दिल्ली सहित 8 राज्यों की 10 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में। दिल्ली की रजोरीगार्डन सीट पर आप पार्टी के विधायक जरनैल सिंह ने हाल में सम्पन्न हुए पंजाब चुनाव में विधायक का चुनाव लड़ा था। भले ही जरनैल सिंह को सफलता नहीं मिली पर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि अगर पंजाब में पूर्ण बहुमत से आप सत्तासीन होती तो केजरीवाल, जरनैल सिंह को मुख्यमंत्री के पद पर आसीन कर सकते है। लगता है इसी आश से रजोरी गार्डन दिल्ली के विधायक रहे जरनैल सिंह ने वरिष्ठ नेताओं द्वारा इस्तीफा न देने की सलाह को दरकिनारे करके अतिउत्साह में विधायकी से इस्तीफा दे दिया। पंजाब चुनाव परिणाम न केवल आप पार्टी के आशाओं पर बज्रपात करने वाला रहा अपितु जरनैल सिंह की राजनीति पर ग्रहण लगाने वाला रहा। पंजाब से हारने के बाद दिल्ली की रजोरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में भी आप पार्टी ने जरनैल सिंह को अपना प्रत्याशी न बना कर अन्य कार्यकत्र्ता को प्रत्याशी बनाया। इस प्रकार जरनैल सिंह न दिल्ली के ही विधायक रहे व नहीं पंजाब में विधायक ही बन पाये। इस सीट पर भाजपा ने भले ही बाजी मारी हो पर कांग्रेस ने भी अपनी स्थिति सुधार ली है।
इन विधानसभा सीटों पर 9 अप्रेल को उपचुनाव हुए थे। दिल्ली सहित 8 अन्य राज्यों में विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव में हिमाचल प्रदेश की भोरंज, असम की धेमाजी सीट, पश्चिम बंगाल की कांठी, मध्य प्रदेश में भड जिले की अटेर और उमरिया जिले की बांधवगढ़ सीट,राजस्थान की धौलपुर,झारखंड में पाकुड़ जिले की लिट्टीपाड़ा व कर्नाटक की नंजनगढ़ विधानसभा सीट शामिल है।