जब बाघो,शेरों व मृगों के लिए सरकार अरबों रूपये खर्च कर अभयारण्य बना सकती है तो गौ जैसे अमृतपान करने वाली कामधेनु को पालने के लिए गौ शालाओं का निर्माण क्यों नहीं कर सकती है। जिस प्रकार बाघ, शैर, रीछ सहित हिंसक पशु को मारने पर कठोर दण्ड सरकार देती है। उनको संरक्षित जीव घोषित कर रखा है तो गाय जैसे परोपकारी जीव की रक्षा के लिए सरकार ऐसे ही कानून क्यों नहीं बनाती है। क्यों देश में गौ वंश को संरक्षित जीव घोषित कर इसको मारने वाले व तस्करी करने वाले हैवानों को मृत्य दण्ड का कानून बना कर देश में तमाम कसाईखाने बंद नहीं करती है।
गाय व गौ वंश की सेवा न करने व सड़क में आवारा घुमने की बात कह कर गौ हत्या करने को जायज ठहराने वाले कुतर्कियों ने कभी किसी कों बाघ, शेर व भालु के सेवक मिले। नहीं। कोई नहीं। यह सरकार का दायित्व होता है हैवानों से जीवों की रक्षा करने का।