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सरकार व न्यायालय के कड़े रूख के कारण विरोध कर रहा मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड अब तीन तलाक खत्म करने को तैयार

 

नई दिल्ली (प्याउ)। तीन तलाक प्रकरण पर सरकार व न्यायालय के हस्तक्षेप को किसी भी कीमत पर स्वीकार न करने की हुंकार भरने वाला आल इंडिया मुस्लिम लाॅ बोर्ड ने भी मोदी व योगी सरकार के साथ न्यायालय के कडे रूख को देखते हुए अब तीन तलाक आदि प्रकरण को खुद ही समाप्त करने का मन बना लिया है। लाॅ बोर्ड के उपाध्यक्ष उपाध्यक्ष डॉ. सईद सादिक ने कहा कि तीन तलाक के मामले में सरकार दखल न दे, हम इसे खुद 18 महीने के भीतर खत्म कर देंगे।
इसी समस्या के समाधान के लिए आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कार्यकारिणी की आगामी 15 और 16 अप्रैल को लखनऊ स्थित नदवा में आयोजित की जाएगी। इसमें  तीन तलाक और अयोध्या विवाद को बातचीत से हल समेत कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
गौरतलब है उप्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी वादों में तीन तलाक को महिला विरोधी बताते हुए इसे समाप्त करने का वचन दिया था। भाजपा को मिले अभूतपूर्व बहुमत के बाद उप्र में सत्तासीन हुई  योगी सरकार ने भी अपने वचन को अमलीजामा पहनाने का संकेत दिया । इस दिशा में योगी सरकार ने तीन तलाक के बारे में मुस्लिम महिलाओं से भी विचार विमर्श किया।
तीन तलाक के मामले में कई पीड़ित मुस्लिम महिलाओं ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में भी दायर किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में सरकार सहित सभी पक्षों का पक्ष आमंत्रित किया। जिसको मुस्लिम समाज के मौलवी सहित आल इंडिया मुस्लिम लाॅ बोर्ड कर रहा था। परन्तु इस पर खुली चर्चा समाचार जगत में होने से बड़ी संख्या में जागरूक मुस्लिम महिलाओ ने तीन तलाक, हलाला आदि का सिरे से विरोध किया। जिससे यह तथ्य भी सामने आया कि तीन तलाक व हलाला जैसी कुरितियां केवल भारतीय उप महाद्वीप के भारत, पाकिस्तान व बंग्लादेश जैसे देश में ही है। जबकि शेष मुस्लिम जगत की सरकारों ने इनमें सुधार कर रखा है। परन्तु भारतीय उपमहादीप की अंध तुष्टिकरण में लिप्त सत्तालोलुपु सरकारों ने मुस्लिम समाज के कटरपंथियों के रहमोकरम पर छोड़ कर तीन तलाक व हलाला जैसी कुरितियां बनाये रखी है। इसी कारण शेष विश्व में भारतीय उपमहाद्वीप के मुस्लिमों को दुनिया उपहास की दृष्टि से देखती है। भारत में मुस्लिम समाज में महिलाओं में भी शिक्षा का विस्तार पाक व बंगलादेश की तुलना में महिलाओं में काफी अधिक जागरूकता है। इसके कारण भी जागरूक मुस्लिम महिलायें इस अन्याय को सहने के लिए किसी भी कीमत पर तैयार नहीं है।
इसके बाबजूद मुस्लिम लाॅ बोर्ड इस समस्या पर किसी भी प्रकार की चर्चा के लिए तैयार नहीं था। वह इसे धर्म पर सकरार व न्यायालय का हस्तक्षेप कह कर विरोध कर रहा था। यही नहीं लाॅ बोर्ड ने अपनी बात के समर्थन में कुछ ही दिन पहले साढे तीन करोड़ महिलाओं का तीन तलाक के पक्ष में समर्थन पत्र भी प्राप्त करने का दावा किया था। मुस्लिम लॉ बोर्ड तर्क दे रहा है कि ये परंपराएं उनके पवित्र धर्म ग्रंथ कुरान से आई हैं जिस वजह से इसमें अदालत दखल नहीं दे सकती क्योंकि ये परंपराएं न्याय प्रणाली के दायरे में नहीं आतीं।
वही दूसरी तरफ 11 मई से सर्वोच्च न्यायालय में 11 मई से तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह जैसी मुस्लिम परंपराओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई प्रारम्भ करने जा रहा है। इस प्रकार चैतरफा घिर जाने के बाद मुस्लिम लाॅ बोर्ड ने 11 महीने के अंदर तीन तलाक को खुद ही खत्म करने का संकेत दिया।

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