2014 के चुनाव में आडवाणी द्वारा की गयी भूल से सबक लेकर मोदी ने संघ व भाजपा में उठ सकने वाली संभावनाओं को किया जमीदोज
नई दिल्ली से देवसिंह रावत
भले ही लोगों को अभी 10 अप्रैल को हुई राजग की सबसे बड़ी बैठक के ऐलान का औचित्य समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों भाजपा के सर्वशक्तिमान नेता मोदी ने लोग सभा चुनाव से 2 साल पहले अपने नाम पर मुहर लगाने की इतनी बड़ी हडबडी क्यों की। पर जो लोग राजनीति को संभावनाओं व घात प्रतिघात की वास्तविकता जानते है वे समझ सकते है कि मोदी का यह निर्णय बहुत ही दूरदर्शी व राजनैतिक कुशलता से युक्त है। मोदी ने इसी सावधानी व रणनीति के कारण ही आज यह मुकाम हासिल किया है। उ्रप में योगी योगी की गूंज सहित भविष्य में उठने वाली हर आशंका व रूकावटों को अभी से दूर करने के लिए पहले ही ठोस कार्यवाही करने से पीछे नहीं हटते है। जिस अति आत्मविश्वास के कारण लालकृष्ण आडवाणी ने 2014 की सहज सी जंग में मोदी के हाथों मात खायी वह गलती मोदी किसी भी कीमत पर खुद नहीं दोहराना चाहते हैं। जबकि मोदी के सम्मुख आडवाणी से कई गुना वर्तमान में अनुकुल परिस्थितियां है। इसी कारण मोदी ने राजग का ब्रह्मास्त्र चल कर सबको चारों खाने चित्त कर अपनी राह निर्मूल करने का सराहनीय कदम उठाया।
जो काम 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए लालकृष्ण आडवाणी नहीं कर पाये वह काम 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए 2017 में पूरे राजग नेतृत्व को अपने पीछे लामबद करके मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि वे न केवल इस समय देश के सबसे बडे जननेता है अपितु वे देश के सबसे चतुर नेता भी है। 2019 में कोई अन्य विकल्प के लिए संघ व आडवाणी आदि भाजपा नेतृत्व कहीं से योगी या अन्य के पक्ष में आवाज न उठाये उसको अभी से कुंद करने के लिए मोदी ने 2 साल पहले ही खुद को प्रधानमंत्री का दावेदार घोषित करा दिया।
10 अप्रैल की आधाी रात तक राजग की अब तक की सबसे बड़ी बैठक का आयोजन केवल मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में खुद को प्रधानमंत्री का दावेदार घोषित करने के लिए की। जबकि अभी मोदी को चुनौती देने वाला कहीं दूर दूर तक भाजपा व राजग में तो रहा दूर देश में कोई नजर नहीं आ रहा है। इसके बाबजूद 2014 के अनुभवों व भविष्य में उठ सकने वाले अन्य विकल्पों को अभी से जमीदोज करने के लिए मोदी ने यह बैठक का आयोजन कराया। जबकि पूरा देश इस बैठक के बारे में कायश लगा रहा था कि शायद यह राजग की महत्वपूर्ण बैठक कुछ माह बाद होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए आयोजित की जा रही है। क्योंकि उप्र व उत्तराखण्ड राज्यों मेें अभूतपूर्व सफलता अर्जित करने के बाबजूद अभी राजग के पास राष्ट्रपति चुनाव के लिए बहुमत 14 हजार वोट कम है, जिसकी पूर्ति राजग शीघ्र कर लेगी।
ााजपा अध्यक्ष अमित शाह के संबोधन से हुई। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल, टीडीपी प्रमुख नायडू और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने भी बैठक को संबोधित किया।
चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि एनडीए सहयोगी मोदी के नेतृत्व में 2019 का चुनाव जीतने के लिए मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध हैं।
जेटली ने बताया कि सभी घटक दलों ने मोदी सरकार के प्रदर्शन और खासकर प्रधानमंत्री के नेतृत्व की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘घटक दलों ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया कि 2019 में प्रधानमंत्री मोदी के मजबूत नेतृत्व में दूसरा कार्यकाल जीतने के लिए सभी मिलकर काम करेंगे।
हालांकि राजग की इस महत्वपूर्ण बैठक शुरू होने पर कायश लगाया जा रहा था कि बैठक का मुख्य मुद्दा राष्ट्रपति का चुनाव होगा। परन्तु इस बैठक में केवल एक मुद्दा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में राजग गठबंधन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगा। 2014 के चुनाव के समय लाल कृष्ण आडवाणी व नीतीश कुमार की तरफ से उठे किन्तु परन्तु के अनुभव से सबक लेते हुए मोदी के रणनीतिकारों ने आगामी 2019 के चुनाव के लिए दो साल पहले भाजपा व राजग की तरफ से मोदी को 2019 को सर्वसम्मत नेता चुनने का दाव चला। मोदी के सियासी रणनीतिकारों ने आगामी लोकसभा चुनाव 2019 से दो साल पहले ही यह दाव चल कर संघ सहित भाजपा के अंदर मोदी के खिलाफ अन्य संभावित विकल्प की आवाज को उठने से पहले ही जमीदोज कर दिया।
राजग बैठक में प्रस्ताव पास किया गया जिसमें 2019 का चुनाव मोदी के नेतृत्व में लड़ने की बात कही गयी। भारत के राजनिटिक चुनावी इतिहास में अब तक ऐसा नहीं हुआ कि चुनाव के दो साल पहले ही किसी गठबंधन ने अपना नेतृत्व चुनाव के लिए तय कर लिया हो लेकिन एनडीए के 33 दलो ने 2019 का चुनाव मोदी के नेतृत्व में लड़ना तय किया है।
प्रस्ताव में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर,गोवा में भाजपा और राजग के प्रदर्शन के लिए मोदी के करिश्माई नेतृत्व को भी बधाई दी गई. साथ ही मोदी के नेतृत्व में पूरा विश्वास जताया गया।
इस बैठक के प्रति भाजपा नेतृत्व कितना संजीदा था इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है अब तक शिवसेना की उपेक्षा करने वाला भाजपा नेतृत्व ने इस बैठक में मोदी व भाजपा की वर्तमान कार्यशैली से राजग के अंदर सबसे अधिक नाखुश उद्धव ठाकरे को साथ लाने में सफलता अर्जिैत की। शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे को इस बैठक में सम्मलित कराने के साथ उनसे मोदी के नेतृत्व में 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने की हुंकार भराने में सफलता अर्जित करनी अपने आप में एक बड़ी उपलब्धी है। शिवसेना का मजबूती से साथ लेने का मोर्चा खुद मोदी के प्रमुख सिपाहेसलार अमित शाह ने संभाला था उन्होने राजग की बैठक प्रारम्भ होने से पहले उद्धव ठाकरे के साथ अलग कमरे में करीब बीस मिनट बैठक कर उद्धव ठाकरे को मनाने में सफलता हासिल की।
बैठक का प्रारम्भ अमित शाह ने राजग के 33 दलों को साथ लेकर की। यह राजग की अब तक सबसे अधिक विस्तार है।
बैठक के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने बैठक में समापन भाषण दिया. मोदी के भाषण में कहा कि पिछले तीन साल में गरीबों तक पैठ बढ़ी है. अब गरीबों की योजनाओं को आखिरी नागरिक तक पहुंचाने के लिए और मेहनत की जरूरत है। हमारी जिम्मेदारी है कि देश में एक साथ चुनाव हो इसके लिए चर्चा और तेज करने की जरुरत है। मोदी ने एनडीए के विस्तार पर जोर दिया और कहा कि एनडीए पहले से बड़ा हो गया है इसके विस्तार की और भी सम्भावनाओं को तलाशा जाना चाहिए। अपने इस सधे भाषणों से राजग को ही नहीं देश को मोदी ने अघोषित साफ संदेश देे दिया कि वर्तमान राजनीति में उनका किसी के पास जवाब नहीं है।