नई दिल्ली से वी के त्यागी
आध्यात्मिक गुरू एवं समाज सेवी श्री भोलेजी महाराज तथा माताश्री मंगलाजी के सान्निध्य में हंस कल्चरल सेंटर द्वारा माताश्री राजेश्वरी देवी की पावन जयंती पर श्री हंसलोक आश्रम, नई दिल्ली में दो दिवसीय विशाल सत्संग समारोह का हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।
इस मौके पर माताश्री मंगलाजी ने देश-विदेश से आये हजारों श्रद्धालुओं-भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि माताश्री राजेश्वरी देवी दया, करफणा तथा वात्सल्य की ऐसी प्रतिमूर्ति थीं जिन्होंने अपना सारा जीवन अध्यात्म ज्ञान के प्रचार-प्रसार तथा लोगों के कल्याण में लगाया। उनकी दया छोटा-बड़ा तथा गरीब व अमीर सभी पर समान रूप से बरसती थी। एक बार जो भी मनुष्य समर्पण व श्रदध भाव से उनके सम्पर्क में आया माता राजेश्वरी ने सत्संग व अध्यात्म ज्ञान से उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव कर दिया। उन्होंने कहा कि माताश्री राजेश्वरी ने केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अनेक देशों में अध्यात्म ज्ञान की ज्योति जलाकर समाज में आपसी प्रेम, शांति, एकता और सद्भाव का वातावरण बनाया।
माताश्री मंगलाजी ने कहा कि आज हम सब मिलकर माताश्री राजेश्वरी देवी की पावन जयंती मना रहे हैं। यह जयंती हम सबके लिए आत्म जागृति का पर्व है क्योंकि उन्होंने सत्संग और अध्यात्मज्ञान के द्वारा अनेकों लोगों की सोई हुई अंतर्रात्मा को जगाकर उन्हें भजन व ध्यान करने की प्रेरणा दी। यद्यपि माताश्री राजेश्वरी देवी को ज्ञान का प्रचार-प्रसार करते समय अनेेक कठिनाइयों तथा संघर्षों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी भी सत्य और ध्र्म के मार्ग को नहीं छोड़ा। आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही क्षेत्रों में उन्होंने लोगों का मार्गदर्शन किया। सत्संग व अध्यात्म से जहां उन्होंने लोगों का नैतिक, चारित्रिक एवं आत्मिक रूप से उत्थान किया वहीं उन्हें परोपकार की प्रेरणा देकर समाज सेवा तथा जनकल्याण के कार्यों में लगाया।
माताश्री मंगलाजी ने कहा कि माताश्री राजेश्वरी दीन-दुखियों, बेसहारा तथा जरूरतमंदों की सेवा करना बहुत ही पुण्य का कार्य मानती थीं। उन्होंने स्वयं भी दीन-दुखियों की हरसंभव सेवा-सहायता की तथा अपने भक्तों को भी परोपकार, सेवा तथा जनकल्याण के लिए प्रेरित किया। उन्होंने माताश्री राजेश्वरी देवी को भावपूर्वक नमन करते हुए उनसे प्रार्थना कि वे हमें भक्ति दें, शक्ति दें तथा अपना आशीर्वाद दें जिससे हम निरंतर उनके ज्ञान-प्रचार व मानव सेवा के कार्यों को आगे बढ़ा सकें।
परमपूज्य श्री भोलेजी महाराज ने कहा है कि आज हमारा देश कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है। चारों तरफ भय, असुरक्षा तथा अशांति का माहोल है। ईष्र्या, द्वेष व वैमनस्यता के कारण पारिवारिक रिश्ते निरंतर कमजोर होते जा रहे हैं जिससे लोगों में हताशा बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हताशा से भरे इस वातावरण को बाहरी साध्नों से दूर नहीं किया जा सकता बल्कि इसके लिए हमें संत-महापुरफषों के अध्यात्म ज्ञान का सहारा लेना होगा। उन्होंने कहा कि अध्यात्म ज्ञान के व्यापक प्रचार-प्रसार से ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है।
श्री भोलेजी महाराज ने कहा कि वैसे तो दुनिया में प्रतिदिन हजारों लोग जन्म लेते हैं लेकिन जयंतियां केवल उन्हीं महापुरषों की मनाई जाती हैं जिन्होंने लोगों को अध्यात्म ज्ञान की अनुभूति कराकर उनके जीवन को सुख-शांति और आनंद के खजाने से सराबोर कर दिया। उन्होंने कहा कि माताश्री राजेश्वरी देवी अपने समय की ऐसी ही महान विभूति थीं जिन्होंने अध्यात्म ज्ञान के द्वारा देश-विदेश के लाखों लोगों के हृदय में उजाला कर दिया। इसलिए आज भी उनके लाखों भक्त उन्हें ‘जगतजननी माता’ के नाम से पुकारते हैं। श्री भोलेजी महाराज ने माताश्री राजेश्वरी देवी के प्रिय भजन-‘‘अपनी हस्ती जो तेरे चरणों में मिटा देते हैं तथा ‘भाव का भूखा हूं मैं और भाव ही एक सार है’’ भजन गाकर लोगों को भावविभोर कर दिया।
समारोह में संस्था की प्रचारक महात्मा आत्मसंतोषी बाई, महात्मा कृपानंद, महात्मा परमज्ञानानंद तथा श्री मंगल जी ने भी सत्संग विचारों से लोगों को लाभान्वित किया। गायिका नेहा खंकरियाल, गायक पूरनचन्द्र पांडेय, तारादत्त जोशी तथा चन्द्रशेखर पंत ने भक्ति, सत्संग, गुरफ महिमा तथा माताश्री राजेश्वरी देवी की महिमा से जुड़े भजन गाकर लोगों को मंत्रामुग्ध् कर दिया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से आये संत-महात्मा, विभिन्न सामाजिक, धर्मिक तथा राजनैतिक संगठनों से जुड़े प्रतिनिध् िएवं गणमान्य लोग शामिल हुए।