जिस प्रकार से पांच राज्यों की विधानसभा के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की आदित्यनाथ योगी की सरकार ने अपने चुनावी वादों पर अमल करते हुए उत्तर प्रदेश में चल रहे 300 से अधिक अवैध बूचड़खानों को बंद करने का युद्ध स्तर पर प्रयास किया उस से अवैध बूचड़खानों के आस-पास रहने वाले लाखों लाखों लोगों को जहां सुकून मिला वही इन बूचड़खानों से आहत देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं को मरहम लगा।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र विश्व की अध्यात्म की राजधानी काशी , कमनगडहा, जैतपुरा थाना बनारस का बूचड़खाने के बंद होने से बनारस की जनता को सुखद आश्चर्य हुआ क्योंकि इस बूचड़खाने को बंद करने के लिए वहां के लोगों ने सैकड़ों बार धरना प्रदर्शन करके इसको यहां से अन्यत्र दूसरी जगह पर स्थांतरित करने की मांग को भी प्रशासन ने निरंतर ठुकरा दिया था।काशीवासी अभिराज शर्मा जो स्वयं कसाईखाने को बंद करने के लिए कई बार धरना-प्रदर्शनों में सम्मिलित हुए थे उनके अनुसार मुख्य रोड पर बने इस बूचड़खाने से लोगों का जीना दुश्वार हो रखा था।
लोगों के न केवल धार्मिक भावनाएं आहत हो रही थी अभी तो खून और हड्डियों के गिरने से आसपास के लोग भी परेशान थे।परंतु जनता की इस परेशानी और निरंतर मांग को आजादी के बाद की तमाम सरकारों ने जिस प्रकार से नजर अंदाज किया उससे लोगों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कभी कोई ऐसी सरकार आएगी जो बिना डंडा चलाएं भी इन बूचड़खानों को बंद करा पाएगी।
जिस प्रकार से आदित्यनाथ योगी की सरकार ने मोदी सरकार की सरपरस्ती में यह काम केवल एक फरमान जारी करने से किया उस से जनता को सुखद आश्चर्य होना स्वाभाविक है।
ऐसा सुखद आश्चर्य केवल बनारस के लोगों को ही नहीं अपितु लखनऊ मुरादाबाद गाजियाबाद कानपुर से बनारस प्रयाग से लेकर तमाम उत्तर प्रदेश के सैकड़ों सैकड़ों गली मोहल्ले में चल रहे अवैध बूचड़खानों से जीना बेहाल हुए लोगों को इन बूचड़खानों के बंद होने से भी हो रहा है।
इन बूचड़खानों से आम आदमी की धार्मिक ही नहीं जिंदगी को भी कितना नारकीय बना दिया जाता था इसका एहसास देश की राजधानी दिल्ली के हृदय स्थल समझे जाने वाले पहाड़गंज के समीप ईदगाह बूचड़खाने से एक दशक पहले तक लोगों को होता था, ईदगाह क्षेत्र के आसपास 12 टूटी, सदर बाजार, पहाड़ी धीरज आदि क्षेत्रों से भी लोगों का निकलना दुश्वार होता था यहां पर वैद्य बूचड़खाने के साथ अवैध बूचड़खाने भी बड़ी मात्रा में चलते थे इससे नालियों में खून, रक्त रंजीत टेम्पो, रिक्शा, ट्रक के साथ भेड़ बकरियो भैंस बैल इत्यादि की चित्कार सुन कर भी लोग इन बूचड़खानों को संचालित करने की इजाजत देने वाली निष्ठुर सरकार को धिक्कारते थे।