बहुत बड़ी खबर योगी आदित्यनाथ बने यूपी के नए मुख्यमंत्री
उप्र में अंध तुष्टीकरण, आतंकवाद व जातिवादी कुशासन से दशको से कड़ा मुकाबला कर रहे भारतीयता के ध्वहवाहक योगी को उप्र का मुख्यमंत्री देखना चाहती है देशभक्त जनता !
——————————————
—————————————–
अंध जातिवाद, तुष्टीकरण, भ्रष्टाचार के गर्त में डूबे उप्र में कैसे बहायेगी भाजपा, रामराज्य रूपि सुशासन की गंगा
——————————–
नई दिल्ली (प्याउ)।अब उप्र का 21वां मुख्यमंत्री कौन बनेगा? कौन करेगा जातिवाद, क्षेत्रवाद, भ्रश्टाचार, देष विरोधियों के साथ संकीर्ण तुष्टीकरण के कुशासन से पतन के गर्त मेें आकण्ठ डूबे विश्व के सबसे बडे राज्य उप्र में विकास, अमन षांति का सूर्योदय? कत्लगाहों से व्यथित व रक्त रंजित भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक रहे मथुरा, काशी, अध्योध्या व प्रयाग की पावन धरती उप्र में कौन बहायेगा गंगा यमुना रूपि भारतीय संस्कृति की अमृतधारा।
11 मार्च को मतगणना के एक सप्ताह तक लोगों के दिलो दिमाग में उठ रहे सबसे प्रमुख ये सवाल । भाजपा उप्र का 21वां मुख्यमंत्री किसको बनायेगी का जवाब देने में भाजपा 17 मार्च तक असफल रही।
18 मार्च भाजपा इसका जवाब दे रही है प्रदेश के नवनिर्वाचित विधान मण्डल की बैठक में नेता मनोज सिन्हा को चुन कर! हालांकि भाजपा ने जो आष्वासन जनादेश लेते हुए दिया उसको देखते हुए प्रदेश में भाजपा में मुख्यमंत्री के स्वाभाविक उत्तराधिकारी है योगी आदित्यनाथ। योगी आदित्यनाथ जो न केवल करोड़ो सनातन धर्मियों के आस्था के प्रतीक गोरखपीठाधीश्वर हैं अपितु देश खासकर उप्र में अंध तुष्टीकरण, आतंकी ं, जातिवादी व भ्रष्टाचारी ताकतों का मुंहतोड़ मुकाबला करके भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक नायक के रूप में विगत एक दशक से सिरमौर बने हुए है। परन्तु उनकी इसी कीर्ति से सत्ता प्रतिष्ठान आशंकित है, संकीर्ण पदलोलुपु जातिवादी ताकतें नहीं चाहती है कि योगी आदित्यनाथ जैसे प्रखर सनातनी धर्मध्वजवाहक के हाथों में सत्ता आये। क्योंकि योगी आदित्यनाथ के सत्तासीन होने के बाद प्रदेश में भारत को तबाह करने वाली ताकतें, जातिवादी ताकतें व भ्रष्टाचारियों को सर उठाने का असवर नहीं मिलेगा। इसी कारण वे एकजूट हो कर योगी आदित्यनाथ की राह को रोके हुए है। संघ व भाजपा में योगी को कटरपंथी कहने वालों को नहीं मालुम कि जिसे वे कटरपंथ कह रहे हैं वह शताब्दियों से रौंदे गये सनातनी भारतीय की चित्कार है। भले देश प्रदेश में कई प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री हुए हो पर पीड़ित भारत में सावरकर, बाला साबह ठाकरे व योगी आदित्य नाथ जैसे स्पश्ट व जांबाज नेता भारतीय जनमानस के दिलों में राज करते है।
भले ही योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के पद से वंचित किया जाये परन्तु एक सच्चा भारतीय जानता है कि भारत व भारतीय संस्कृति को बचाने का काम अगर कोई कर रहा है व कर सकता है तो वह योगी आदित्यनाथ। हो सकता है प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 के चुनावी रणनीति के कारण भले ही योगी आदित्यनाथ को उप्र का मुख्यमंत्री न बना रहे हो परन्तु योगी बिना मुख्यमंत्री रहे सनातनी व भारत से प्रेम करने वालों के दिलों में राज करते रहेंगे। देश की संस्कृति के ध्वजवाहक का नेतृत्व से वंचित करने वालों को इतिहास माफ नहीं करेगा।
हालांकि मुख्यमंत्री के लिए भाजपा के दो बार राष्ट्रीय अध्यक्ष व उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री रहे वर्तमान केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह व भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य सहित कई दावेदारों का नाम चर्चा में रहा। पर प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा प्रमुख अमित शाह ने प्रदेश की इन चुनौती को मजबूती से सामना कर सकने का विश्वास अपने मंत्रीमण्डल के कुशल मंत्री समझे जाने वाले मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाने का मन बना लिया है। इसका ऐलान सांयकाल 5 बजे को हो रही भाजपा विधानमण्डल की बैठक में लखनऊ में किया जायेगा।
1 जुलाई 1959 को मोहनपुरा गांव, गाजीपुर में भूमिहार ब्राह्मण परिवार में जन्मे 57 वर्शीय मनोज सिंहा ने बी टेक व एमटेक की शिक्षा दीक्षा बनारस काशी विष्वविद्यालय -आईटी से ग्रहण की। सिविल इंजीनियर मनोज सिन्हा 1982 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिशद से जुडे मनोज सिंहा छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे। 1989 को वे भाजपा के राष्ट्रीय काउंसिल के सदस्य बने। वे 1996 व 1999 व 2014 को गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए। वर्तमान में मोदी सरकार में 2014 से रेल राज्य मंत्री के पद पर आसीन है। जुलाई 2016 में सिंहा को संचार मंत्रालय में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के पद पर आसीन किया गया। पत्नी नीलम, एक बेटा व बेटी। सादा जीवन उच्च रहते हुए बोलने से अधिक कार्य करने में विश्वास करते है। प्रायः धोती कुत्र्ता में रहने वाले मनोज सिन्हा के कार्यो के प्रधानमंत्री मोदी भी मुरीद है। कुशल प्रशासक, साफ छवि, मिलनसार मनोज सिन्हा का विरोधी भी उनका सम्मान करते हैं। वर्तमान राजनीति में अजातषत्रु कहा जाता है। मनोज सिन्हा के परिवार में उनकी पत्नी नीलम, एक बेटा व बेटी है।
26 जनवरी 50 (27 दिसम्बर 1954)को बरेली मुनिसिपिलटी सीट से निर्वाचित गोविन्द बल्लभ पंत उप्र के पहले मुख्यमंत्री बने बनारस षहर दक्षिण से निर्वाचित सम्पूर्णानंद (1954-57) बने उप्र के दूसरे मुख्यमंत्री।अब विश्व की सबसे प्राचीन नगरी व आध्यात्म की राजधानी के रूप में विख्यात काषी की बनारस संसदीय सीट से निर्वाचित हो कर देश के प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी के राज में उप्र में भाजपा को अभूतपूर्व बहुमत मिला है। ऐसा बहुमत तीन साल बाद किसी दल को मिला। 403 विधानसभा सीट वाली उत्तर प्रदेश की विधानसभा के सन 2017 में हुए चुनाव में 312 सीटें अकेले ही जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी को मिले व 9 विधायक उसके सहयोगी दल यानी अपना दल को भी मिले। यहां विरोधी दलों का एक प्रकार से सफाया हो गया। सत्तासीन रही़ सपा को 47, सत्ता की प्रबल दावेदार बन कर हुंकार भरने वाली बसपा को केवल 19, तीन से अधिक दशकों तक उप्र में एकछ़त्र राज करने वाली कांग्रेस को 19 सीट, पष्चिमी उप्र सहित जाट समाज को लामबद करके भाजपा का सूपड़ा साफ करने की हुंकार भरने वाली अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल को 1 सीट ही मिली। भाजपा को अभूतपूर्व बहुमत मिलने के बाबजूद तमाम सवाल अपने स्थान पर खडे हैं कि कौन लगायेगा जातिवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टाचार, देष विरोधियों के साथ संकीर्ण तुश्टीकरण के कुशासन से पतन के गर्त मेें आकण्ठ डूबे विश्व के सबसे बडे राज्य उप्र में विकास, अमन शांति का सूर्योदय? कत्लगाहों से व्यथित व रक्त रंजित भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक रहे मथुरा, काशी, अध्योध्या व प्रयाग की पावन धरती उप्र में कौन बहायेगा गंगा यमुना रूपि भारतीय संस्कृति की अमृतधारा। भाजपा को जो अभूतपूर्व जनादेश मिला वह एक चुनौती है जनांकांक्षाओं को पूरा करने का। कैसे उप्र को कत्लखानों से मुक्ति दिलाये?कैसे अध्योध्या में राममंदिर बना कर काशी व मथुरा को सम्मान दिलायें?किसानों, बेरोजगारों की आशाओं को केसे साकार करे?
कैसे जातिवाद, भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण की गर्त में फंसी उप्र की राजनीति को उबारे? कैसे षिक्षा व कुशासन में सुधार करें।