जी-एसटीआईटी सम्मेलन में
मंत्री श्री पुरी ने ऊर्जा की वहनीयता, ऊर्जा और स्थिरता में संतुलित त्रिविधता के महत्व का आकलन किया
समाज के आर्थिक रूप से फ़्राईल ग्राउज़ को स्टॉक में उपलब्ध आभूषण योजना में उनकी भूमिका का उल्लेख किया गया है
वैश्विक सतत प्रौद्योगिकी और नवाचार समुदाय के सतत विकास लक्ष्य में तकनीकी समाधानों में तेजी से आए 7वें जी-एसटीएसटी दिल्ली सम्मेलन को पेश करते हुए परमाणु एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने स्थिर ऊर्जा समाधानों की दिशा में भारत की विकास यात्रा का उल्लेख किया। ।। औद्योगिक क्षेत्र में इस तकनीकी प्रगति के उपयोग की क्षमता का उल्लेख करते हुए श्री पुरी ने कहा कि डेमोक्रेटिक डिजिटल के तहत ऊर्जा संरक्षण के तहत ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में ऊर्जा संरक्षण लोकतंत्र के तहत स्वायत्त रूप से आसान है। या अधिक कठिन हैं।
टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट-टी आरआई और वीआईटीओ द्वारा अन्य आठ गैर-सैनिकों द्वारा स्वतंत्र एसोसिएटेड रिसर्च रिसर्च ग्रुप के सहयोग से पहली बार भारत में आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन में “सतत भविष्य और सह-अस्तित्व के लिए प्रौद्योगिकी, नीति और व्यावसायिक उपायों के समन्वय” विषय के अंतर्गत नये पर विचार किया जाएगा।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में श्री हरदीप सिंह पुरी ने वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक रूप से निर्मित उद्यमों के सामने आने वाली महत्वपूर्ण त्रिविध समस्या-ऊर्जा वहनीयता, बर्फबारी और स्थिरता के बीच संतुलन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे वैश्विक ऊर्जा की मांग बढ़ती है, भारत की अपनी ऊर्जा क्षेत्र में आज के 5.4 मिलियन आंकड़े प्रति दिन से 2030 तक 7 मिलियन आंकड़े प्रति दिन उल्लेखनीय तक वृद्धि होने का अनुमान है। यह भारत की वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में स्थापित की गई है। अनुमानों के संकेत के अनुसार अगले दो दशकों में वैश्विक ऊर्जा मांग में अकेले भारत में 25 प्रतिशत वृद्धि होगी।
इस ऊर्जा संरक्षण में वहनीयता एक प्राथमिक चिंता बनी हुई है। श्री पुरी ने सार्वजनिक परिवहन में नवीन समाधानों का उल्लेख करते हुए सरकार के लिए नए उत्पादों पर शोध और विकास का उल्लेख किया। भारत में अभी 15 अप्रत्यक्ष-संचालित ऑपरेटर का ऑपरेशन हो रहा है। ये फर्स्ट ट्रांसपोर्ट ट्रांसपोर्ट सोल्जर्स के प्रति व्यापक दृष्टिकोण को शामिल करता है जिसका कार्बन कार्गो कम करने में उल्लेखनीय योगदान हो सकता है।
श्री पुरी ने अपने पिरामिड में इथेनॉल मिक्स में प्रगति का उल्लेख किया है जो 2013-14 में मात्रा 1.53 प्रतिशत से आज तक 16 प्रतिशत बढ़ गया है। इस उपलब्धि ने सरकार को 2025 से 2030 तक 20 प्रतिशत के अपने मिश्रण लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। ऊर्जा स्थिरता की दिशा में यह सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण का विवरण है। श्री पुरी ने कहा कि 20 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्य से आगे बढ़ते हुए स्थिर ऊर्जा समाधान के लिए एक भविष्य की योजना स्थापित करने की योजना पर विचार किया जा रहा है।
भविष्य की ऊर्जा आपूर्ति का अनुमान लगाने वाली यह एक दूरदर्शी रणनीति का संकेत है। ऊर्जा मंत्री ने पूर्वोत्तर देशों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बल दिया, जहां कई देश ऊर्जा महत्व पर अत्यधिक निर्भर हैं। उनका मानना था कि भारत की इथेनॉल पहल की सफलता एक मॉडल के रूप में काम करेगी। हालाँकि उन्होंने स्वीकार किया कि ब्राज़ील के विपरीत, भारत में जैव उत्पादन के लिए कृषि योग्य भूमि में प्रचुर मात्रा की कमी है। फिर भी उन्होंने स्थानीय ऊर्जा उत्पादों को पूरा करने और उद्यमों को कम करने के लिए नवीन जैव रसायन की क्षमता पर जोर दिया।
श्री पुरी ने 2016 में शुरू की गई जगाया योजना के सुधारात्मक प्रभाव का भी उल्लेख किया, जिसने रसोई गैस की आम पहुंच को काफी प्रभावित कर दिया है। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ से ज्यादा की संख्या में 330 करोड़ से ज्यादा की आय हो चुकी है, जिससे समाज के आर्थिक रूप से 140 करोड़ से ज्यादा करोड़ रुपये का कारोबार हो रहा है। सरकार की अन्य सामाजिक नीतियों के साथ ही इस पहल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगभग 250 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में अहम भूमिका है।
श्री हरदीप सिंह पुरी ने भारत के ऊर्जा परिदृश्य पर ध्यान केन्द्रित करते हुए इसे भारत के ऊर्जा परिदृश्य में महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी-(गेम चांगर) बताया। उन्होंने ग्रीन को एक समग्र ऊर्जा स्रोत बनाने में स्थानीय मांग, उत्पादन और सामग्री का महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि उत्पाद की लागत कम करना मुख्य चुनौती है। उन्होंने इस क्षेत्र में निरंतर नवीनता और प्रौद्योगिकी के विस्तार की खोज की।
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