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सार्थक शिक्षा और ज्ञान वही है जो मानवता के कल्याण और उत्थान के लिए इस्तेमाल किया जाए:-राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

 

राष्ट्रपति ने भुवनेश्वर में राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के 13वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया

राष्ट्रपति ने नाइसर के विद्यार्थियों से कहा: अपने ज्ञान को एक सामाजिक उद्यम के रूप में लें और समाज और देश के विकास के लिए इसका उपयोग करेंः

 

09जुलाई 2024, दिल्ली से पसुकाभास 

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (9 जुलाई, 2024) ओडिशा के भुवनेश्वर में राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (एनआईएस) के 13वें स्नातक समारोह में भाग लिया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि नाइसर की यात्रा अभी कुछ वर्षों की ही है, लेकिन इतने कम समय में ही इसने शिक्षा जगत में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि यह संस्थान विज्ञान की सच्चाई और परंपरा के मूल्य को एकजुट करके आगे बढ़ रहा है।

राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि सार्थक शिक्षा और ज्ञान वही है जो मानवता के कल्याण और उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे जहां भी कार्य करेंगे, अपने क्षेत्र में सर्वोच्च स्तर को प्राप्त करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि विद्यार्थी अपने मंच में प्रतीकों के साथ-साथ अपने सामाजिक दायित्व का भी पूर्ण अनुपालन करेंगे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने सात सामाजिक पाप परिभाषित किए हैं, जिनमें से एक दयाहीन विज्ञान है, यानी मानवता के प्रति संवेदनशील के बिना विज्ञान को बढ़ावा देना पाप-कर्म के समान है। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि उन्हें गांधी जी के इस संदेश को हमेशा याद रखना चाहिए।

राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा था कि वे अपने व्यक्तित्व में सदैव प्रेम और जिज्ञासा की भावना बनाए रखें। उन्होंने कहा कि उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अपने ज्ञान को एक सामाजिक उद्यम के रूप में देखें और इसका उपयोग समाज और देश के विकास के लिए करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान, नींव है लेकिन इसके साथ-साथ उसके अभिशाप का खतरा भी हमेशा बना रहता है। आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं। नए तकनीकी विकास मानव-समाज को क्षमताएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन साथ ही, वे मानवता के लिए नई प्रतिभाएं भी पैदा कर रहे हैं। जैसे क्रिसपीआर – सीएएस9 ने जीन एडिटिंग को बहुत आसान बना दिया है। यह तकनीक कई असाध्य परिस्थितियों के समाधान की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। हालाँकि, इस तकनीक के उपयोग से नैतिक और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी खबरें भी उत्पन्न हो रही हैं। इसी तरह, जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में प्रगति के कारण गहरी फ़ेक की समस्याएं और कई नियामक टैलेंट सामने आ रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि मूल विज्ञान के क्षेत्र में प्रयोग और शोध के परिणाम आने में अक्सर बहुत समय लगता है। कई बार कई सालों तक निराशाजनक चोटों के बाद सफलता मिली है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे कभी-कभी ऐसे दौर से भी गुजर सकते हैं जब उनकी गंभीरता की परीक्षा होती है। लेकिन उन्हें कभी निराश नहीं होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को हमेशा यह याद रखने की सलाह दी कि मूल खोज में विकास अन्य क्षेत्रों में भी अत्यंत लाभदायक साबित होता है।

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