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लोकसभा चुनाव 2024 मे दिल्ली की सातों सीटों पर कांटे की टक्कर, बेनकाब हुए सभी राजनैतिक दल

 

देवसिंह रावत

सात चरणों में 19 अप्रैल 2024 से 1 जून 2024 तक हो लोकसभा चुनाव 2024 में सबसे रोचक मुकाबला देश की राजधानी दिल्ली में सातवें चरण के तहत दिल्ली की सात सीटों पर 25 मई को होने जा रहा है। 2.05 करोड़ आबादी वाले दिल्ली राज्य के 1,52,01936 यानी डेढ करोड से अधिक मतदाता, 13637 मतदान केंद में 7संसदीय क्षेत्र में सांसद बनने के लिये उतरे 162 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने के लिये अपना मताधिकार का प्रयोग करेंगे। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा नेता प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2014 से देश की सत्ता में आसीन राजग गठबंधन व कांग्रेस सहित अनैक विपक्षी दलों के नेतृत्व में मोदी को देश की सत्ता से अपदस्थ करने के लिये बने इंडिया गठबंधन के सांझा प्रत्याशियों के बीच हो रहा है।

इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में 543 संसदीय सीटों के लिए कुल 8,360 उम्मीदवार मैदान में हैं। जबकि 2019 के चुनावों में 8,039 उम्मीदवार मैदान में थे । अब तक सबसे अधिक प्रत्याशी लोकसभा चुनाव 1996 में 13,952 थे,जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में 162 प्रत्याशी मैदान में हैं ।सबसे अधिक प्रत्याशी उत्तर पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।

भाजपा ने दिल्ली में अपने सभी 7 वर्तमान सांसदों में से केवल प्रत्याशी मनोज तिवारी को ही चुनावी दंगल में उतारा। दिल्ली में नामांकन प्रक्रिया 29 अप्रैल से 6 मई तक चली थी।

पूरे देश के जागरूक लोगों की नजरें देश के लोकसभा चुनाव परिणामों के साथ दिल्ली के इस कांटे के मुकाबले पर लगी है।
इसके साथ आजादी के बाद शायद यह पहला चुनाव होगा जिसमें नई दिल्ली संसदीय सीट पर देश की स़त्ता में पांच दशक तक आसीन रहने वाले व सबसे पुराने दल कांग्रेस का प्रत्याशी इस सीट पर कहीं नजर नहीं आयेगा। इससे कई कांग्रेसी नेता खपा हैं। इस पर कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी ने कहा कि इंडिया गठबंधन की इस समय यही खुबसूरती है कि कांग्रेस के अध्यक्ष खडगे व सोनिया गांधी सहित स्वयं वह आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को मतदान करेंगे तथा आम आदमी पार्टी के प्रमुख व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित अनैक आप नेता अपने क्षेत्र में कांग्रेस के प्रत्याशी को मतदान करेंगे। वेसे आप व कांग्रेस के बीच की जुगलबंदी पर लोग कुछ समय पहले तक दोनों दलों के बीच तनातनी को लोग आज भी चटकारा ले रहे है। खासकर जहां अरविंद केजरीवाल व उनकी आप पार्टी कांग्रेस को भ्रष्टाचारी कह कर अपने दल की स्थापना की थी। वहीं लोगों के जेहन में केजरीवाल का बच्चों की कसम खा कर कांग्रेस से कभी समझोता न करने का जुमला भी याद है। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो केजरीवाल को मिलने का समय तक नहीं दे रहे थे। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस तो आप से चुनाव समझोता करने के लिये तैयार ही नहीं थी। जब समझोता हुआ तो दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष लवली ने इस्तीफा ही दे दिया। आप से समझोता भी इंडिया गठबंधन की एकजूटता को केरल, बंगाल व पंजाब में तार तार कर रहा है। दिल्ली, हरियाणा, गुजरात सहित कई स्थानों पर आप व कांग्रेस का गठबंधन पंजाब में इस इंडिया गठबंधन की हकीकत को बेनकाब कर रहा है। यहां कांग्रेस व आप एक दूसरे के खिलाफ चुनावी जंग में आरोप प्रत्यारोप कर खुद को बेनकाब कर रही है। वहीं दूसरी तरफ मोदी व शाह की युगल जोड़ी के मोदी मय शासन में भाजपा व उसकी मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक सें बढ रही दूरियों की अटकलों को मोदी शाह के भरत ‘भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने अपने एक बयान से और गहरा कर दिया। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्राण समझी जाने वाली संघ की कम सक्रियता की पहेली इन चुनावों में हर प्रबुद्ध जन के मन मस्तिष्क में है। इसके बाबजूद मोदी शाह की अब की बार 400पार की हुंकार व आत्मविश्वास के पीछे चुनावी रणनीति के जानकारों को मोदी शाह का अपना तंत्र कोशल को ही मान रहे हैंइसी कारण आज देश की चुनावी परिणामों का आंकलन तमाम चुनावी विशेषज्ञ, खबरिया चैनल करने में असफल साबित होगे। ऐसा लग रहा है कि मोदी व शाह सबके आंकलनों पर पानी फैरने के लिये पूरी कमर कस चूके है। भले ही इंडिया गठबंधन संविधान बचाओं व देश बचाओं की गुहार जनता से लगा रहा है पर मोदी शाह के चुनावी कौशल के आगे सबके पराक्रम धरे की धरे रह जायेंगे। क्योंकि मोदी व शाह यह चुनाव विपक्ष की तरह हवाई गठबंधन पर नहीं अपितु एक सोची समझी रणनीति के तहत लक्ष्य साधकर लड रहे है। इसका नजारा है चुनाव मतदान के बाद भारी संख्या में मतदाताओं की संख्या में इजाफा व मतदान के 48 घण्टों के बाद मतदान संख्या बताने के बजाय कई दिनों बाद इसकी घोषणा करना। दिल्ली में ही नहीं पूरे देश में मुकाबला कितना कडा है कि प्रधानमंत्री जैसे पद पर आसीन व्यक्ति को मंगलसूत्र, मटन व टेम्पों के साथ मुस्लिम तुष्टिकरण पर खुलेआम बोलना पड रहा है। इससे इन चुनावों की महता व गंभीरता प्रदर्शित होती है।यह चुनाव में जहां विपक्ष जातिवाद व मुस्ल्मि तुष्टिकरण पर केंद्रीत कर रहा था। हो सकता है प्रधानमंत्री ने उसकी काट के लिये ओबीसी व मुसलमान जैसे शब्दों का प्रयोग किया। पर ऐसा होना नहीं चाहिये। चुनाव देश की दशा व दिशा को दिशाहीन करने वाला भी साबित हो सकता है। देश में सुशासन कल्याणकारी हो ,इसके लिये पक्ष व विपक्ष को दायित्व निर्वहन करना चाहिये।
भले ही देश के प्रधानमंत्री मोदी की संसदीय क्षेत्र बनारस, राहुल गांधी का रायबरेली पर सबकी नजर लगी है। पर दिल्ली या देश की सबसे प्रतिष्ठित लोकसभा सीट राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रमुख नौकरशाह, तीनों सेना प्रमुख, निर्वाचन आयोग सहित देश को संचालित करने वाला सचिवालय-मंत्रालय सहित संसार के अधिकांश देशों के दूतावास-उच्चायोग इसी विश्व की महानगरी नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र में है। 15.25 लाख मतदाताओं वाली नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के परिवारवार का प्रखर विरोध करने वाली व समर्पित कार्यकर्त्ताओं का सम्मान करने की हुंकार भरने वाली भारतीय जनता पार्टी ने नई दिल्ली क्षेत्र के साफ छवि, अनुभवी वरिष्ठ तेजतरार नेता जगदीश मंमगांई जैसे नेताओं को नजरांदाज कर दिवंगत पूर्व भाजपा नेत्री बांसुरी स्वराज को अपना प्रत्याशी बनाया है। वेसे दिल्ली की राजनीति में सुषमा व जेटली से कहीं अधिक जमीन पर मदन लाल खुराना, मल्होत्रा जैसे नेताओं का अथक योगदान रहा। वहीं इंडिया गठबंधन से आम आदमी पार्टी के खाते में आई इस नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से विवादों में घिरे नेता सोमनाथ भारती को बनाया। इन दोनों अधिवक्ता पेशे से जुडने वाले प्रत्याशियों के बीच भी कांटे का मुकाबला होने की आश है। नई दिल्ली संसदीय सीट दिल्ली की सबसे कम मतदाता वाली सीट है। इसमें 17 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है।

दूसरी लोकसभा सीट चांदनी चौक है। ऐतिहासिक नगरी के नाम से विख्यात इस संसदीय सीट में  25प्रत्याशी मैदान में हैं, पर मुख्य मुकाबला भाजपा के प्रवीण खंडेलवाल व कांग्रेस के दिग्गज नेता जय प्रकाश अग्रवाल के बीच है। जहां प्रवीण खंडेलवाल व्यापार संघ के प्रमुख हैं। इस सीट पर
16.45लाख मतदाताओं वाली चांदनी चौक संसदीय सीट में 20.34 प्रतिशत मुस्लिम व 21.14 प्रतिशत अजा मतदाताओं के कारण यह सीट पर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी जय प्रकाश अग्रवाल भारी नजर आते है। यहां आप के साथ हुये समझोते के कारण कांग्रेस प्रत्याशी को मजबूती प्रदान करती है। 70 विधानसभा वाली दिल्ली के सातों लोकसभा सीटों पर दस-दस विधानसभा क्षेत्र आते है।
तीसरी संसदीय सीट उतर पूर्वी दिल्ली है। 24.63 लाख मतदाताओं वाली उतर पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट पर सबसे अधिक 28प्रत्याशी मैदान में हैं, पर मुख्य मुकाबला वर्तमान सांसद व पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया कुमार के बीच है। बिहार प्रांत के इन दोनों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला बहुत ही रोचक है। जहां मनोज तिवारी बिहार व पूर्वांचल के विख्यात गायक है। वहीं कन्हैया कुमार जवाहर लाल नेहरू विश्व विधालय के विवादस्थ छात्र नेता रहे। कन्हैया कुमार को लोग टूकडे टूकडे गैंग से नापसंद भले ही करें परन्तु उनकी तेजतरारता के साथ युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता उनको चर्चा में बनाये हुये है। वामपंथी दल को छोड कर कांग्रेस की राजनीति करने वाले कन्हैया कुमार व मनोज तिवारी दोनों के बीच पूर्वांचल व बिहार के मतों का विभाजन हो जायेगा। पर कन्हैया के पक्ष में मुस्लिम मतों का एकमुश्त पडने से उनको चुनावी समीक्षक मजबूत बता रहे हैं। परन्तु इस सीट पर राजनैतिक दलों द्वारा उपेक्षित व चुनावी समीक्षकों द्वारा नजरांदाज किये गये 3 लाख के करीब उतराखण्डी राष्ट्रवादी मतदाताओं का अधिकांश एकमुश्त मत मनोज तिवारी को जाने से मनोज तिवारी के लिये तारणहार साबित हो रहे है। चुनावी आंकडों से भले ही यह सीट इंडिया गठबंधन की मजबूती दिखाती है। इसी कारण कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष लवली व शीला दीक्षित के पुत्र पूर्व सांसद दीक्षित भी यहां से हर संभव दावेदारी कर रहे थे। पर राहुल गांधी की पहली पंसद कन्हैया कुमार होने से बाजी कुमार ने प्रत्याशी बन कर जीत ली। दिल्ली की सातों सीटों पर यहां मुकाबला सबसे रोचक व कांटे का है।
चौथी सीट पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में जहां 21.20 लाख मतदाता है। यहां 20 प्रत्याशी चुनावी दंगल में है पर मुख्य मुकाबला भाजपा के हर्ष मल्होत्रा व आप के कुलदीप कुमार के बीच में होगा। यहां भाजपा प्रत्याशी मल्होत्रा जहां पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर रहे वहीं कुलदीप कुमार इसी क्षेत्र के जनप्रतिनिधी है। यहां पर राजनैतिक दलों द्वारा उपेक्षित उतराखण्डी समाज बडी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
पांचवीं लोकसभा सीट उतर पश्चिमी दिल्ली है, जहां 25.67लाख मतदाता है। इस सीट से 26 प्रत्याशी मैदान में है पर मुख्य मुकाबला भाजपा के योगेंद्र चंदोलिया व कांग्रेस के उदित राज के बीच में है। जहां चंदोलिया भाजपा के समर्पित नेता है। वहीं उदित राज वरिष्ट नौकरशाह के साथ इसी क्षेत्र से पूर्व भाजपा सांसद व देश के विख्यात अजा नेता है।
छटी लोकसभा सीट पश्चिमी दिल्ली है। 25.87 लाख मतदाताओं वाली इस संसदीय सीट पर 24प्रत्याशी चुनावी दंगल में हैं पर मुख्य मुकाबला भाजपा की प्रत्याशी कमलजीत सहरावत व आप नेता महाबल मिश्रा के बीच है।महाबल मिश्रा कांग्रेस को छोड़कर आप में सम्मलित हुए। कांग्रेस से वे इसी संसदीय क्षेत्र से सांसद भी रहे। पहले महाबल व मुकुंद राम भट्ट  को दिल्ली कांग्रेस के दिग्गज क्षत्रप सज्जन कुमार के करीबी लोगों के रूप में जाने जाते थे। सीट पर उत्तराखंडी, बिहार -पूर्वांचल के लोग निर्णायक संख्या में रहते हैं। दिल्ली की राजनीति में अरविंद केजरीवाल ने पूर्वांचल बिहार के लोगों को राजनैतिक भागेदारी देकर, भाजपा व कांग्रेस का वैश्य, पंजाबी व पाकिस्तान से शरणार्थी आये लोगों का सत्ता समीकरण को पलट कर दिल्ली की सत्ता पर दो दशक से एक छात्र राज कर रहे हैं। परंतु दिल्ली में बिहार पूर्वांचल की तरह ही उपेक्षित उत्तराखंडी समाज को केजरीवाल ने भी प्रतिनिधित्व देने में भाजपा व कांग्रेस की तरह उपेक्षा कर निराश ही किया।

वही सातवीं लोकसभा दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र पर 20 प्रत्याशी मैदान में है पर मुख्य मुकाबला भाजपा की रामवीर सिंह बिधूड़ी व आप नेता का सहीराम पहलवान के बीच में है। यहां मतदाताओं की संख्या 22.9लाख है। भाजपा ने यहां वर्तमान सांसद रमेश बिधूड़ी का टिकट संसद में उनके उग्र बयान को दखते काटी या अन्य कारणो से। परंतु दोनों दलों ने यहां पर गुर्जर समाज की प्रत्याशियों को ही अपना उम्मीदवार बनाया।

 

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