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दिल्ली के उतराखण्डी समाज के लिये गहरी क्षति है अग्रणी समाजसेवी गंगाद़त्त जोशी का महाप्रयाण!

ओम शांति ओम

देवसिंह रावत

आज में उस समय स्तब्ध रह गया जब वरिष्ठ उतराखण्डी कवि गुमान सिंह झेंतू ने दूरभाष पर मुझे बताया कि उतराखण्ड के अग्रणी समाजसेवी गंगादत्त जोशी का इस पखवाडे निधन हो गया। मैने फिर पूछा तो उन्होने कहा कि उन्हें भी किसी ने सूचना नहीं दी। इस कारण मै उनकी अंतिम यात्रा में नहीं सम्मलित नहीं हो सका। मैने इस खबर की पुष्टि के लिये किशन गंज क्षेत्र के अग्रणी समाजसेवी प्रवीण राणा जी से दूरभाष से संपर्क किया। श्री राणा जी ने इस दुखद खबर की पुष्टि करते हुये बताया कि वे इन दिनों अपने गांव यमकेश्वर उतराखण्ड में है। मुझे गंगा जी के दूरभाष पर सम्पर्क करने का साहस नहीं आया। किसी ने इस दुखद खबर की सूचना तक नहीं दी। मेरी आंखों के सामने उनकी तस्वीर छा गई मानो वे मुझसे कह रहे कि रावत जी आप आये नहीं घर हमारे पर मैं चला गया अनंत यात्रा में। मुझे अपराध बोध होने लगा। ऐसा संयोग आया कि लंबे समय से आदरणीय जोशी जी ने मुलाकात नहीं हो पाई। हालांकि वे 80 साल से अधिक उम्र के वयोवृद्ध हो गये थे। इसके बाबजूद वे कभी कभार दूरभाष पर बताते रहते थे कि कभी कभार रेलवे कालोनी किशनगंज जाते है। वे डेढ दशक से किशनगंज रेलवे कालोनी के समीप गुलाबी बाग मे ंसपरिवार निवास कर रहे थे। भले ही मेरा उनसे रिश्ता बेहद आत्मीय है। पर वे एशिया की सबसे बडी रेलवे कालोनी किशन गंज दिल्ली व इसके आस पास में रहने वाले हजारों परिवारों के अभिवाहक भी थे। अल्मोडा के धोलादेवी क्षेत्र के धूरा गांव के मूल निवासी गंगादत जोशी जी विगत 6 दशक से रेलवे कालोनी किशन गंज दिल्ली में निवास करते रहे। रेलवे से सेवा निवृत होने के बाद उनके बडे पुत्र गोपाल जोशी जो दिल्ली में स्टेशन मास्टर पर सेवारत रहे। इसके बाद भले ही जोशी जी ने गुलाबी बाग में बस गये परन्तु वे किशन गंज रेलवे कालोनी में दिल्ली की सबसे पुरानी रामलीला समिति ‘गढवाल कीर्तन मण्डल रामलीला समिति के अध्यक्ष से लेकर संरक्षण के पद पर दशकों तक विराजमान रहे। इसके साथ वे किशनगंज रेलवे कालोनी, मोतीबाग, सराय रोहिला व पदमनगर क्षेत्र की हर जनसमस्याओं के निदान के लिये समर्पित रहते थे। सेवा निवृति के बाद जोशी जी  लोगों के दुख दर्द में  सहभागी रहते।
गंगा दत्त जोशी न केवल देश की राजधानी दिल्ली के उतराखण्डी समाज व किसनगंज क्षेत्र के लोगों के खुशहाली के लिये समर्पित रहते अपितु वे दिल्ली के निगम बोध  घाट स्थित उतराखण्ड श्मसान घाट के सुधार के लिये शासन प्रशासन से जुझते रहते।  इसके साथ वे उतराखण्ड समाज के स्वाभिमान व अस्तित्व के संघर्ष को े साकार करने के लिये दिल्ली से प्रकाशित प्यारा उतराखण्ड को भी प्रोत्साहित करते रहे। इसके साथ वे उतराखण्ड राज्य गठन आदोंलन के केंद्र बिंदू बने जंतर मंतर पर चल रहे उतराखण्ड आंदोलन में सहभागी रहे। स्वर्गीय जोशी जी अपने गांव की बदहाली से भी हमेशा व्यथित रहते थे। मोटरमार्ग , पुल व नहर आदि के अभाव में अल्मोडा जनपद का धोलादेवी क्षेत्र के विकास के लिये वे जहां प्यारा उतराखण्ड समाचार पत्र में खबरे प्रकाशित कराते। इसके साथ वे तत्कालीन उतराखण्ड सरकार से भी इस समस्याओं के निदान के लिये निरंतर लगे रहते। वे उस समय नारायणदत्त तिवारी सरकार से लेकर हरीश रावत की सरकार तक गंगादत्त जोशी जी हमेशा मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक  तक अपनी बात पत्रों व समाचार पत्रों के साथ व्यक्तिगत मिल कर इन समस्याओं के समाधान के लिये निरंतर गुहार लगाते रहते। इस समस्या के निदान के लिये हरीश रावत, गोविंद सिंह कुंजवाल व प्रदीप टम्टा से संपर्क करते रहे। उनका प्रयास सफल रहा। उनके गांव भी सडक से जुड गया। इसके लिये वे मुझे भी धन्यबाद देते थे।
वयोवृद्ध होने के बाबजूद वे समाज के कल्याण व उतराखण्ड सहित देश के विकास के प्रति सदैव निस्वार्थ भाव से समर्पित रहते थे। उनके लिये कोई पराया नहीं अपितु वे सबको अपना परिवार ही मानते थे। ऐसे महामानव के निधन पर मुझे जहां व्यक्तिगत क्षति हुई वहीं उतराखण्ड समाज के साथ एक समर्पित भारतीय मानस के निधन से गहरी क्षति हुई। सबको अपना समझ कर सबके सुख दुख में सहभागी बनने वाले इंसान इस दुनिया में बहुत कम होते हैं। ऐसे महापुरूष के निधन पर उनको परमगति मिलने की कामना करते हुये मैं उनके शोकाकुल परिजनों को अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हॅू। मेरी सुनी आंखे व मानस पटल में उनकी स्मृति सदैव विराजमान रहेगी। भले ही जब भी मैं किशनगंज क्षेत्र में जाना होगा उनकी कमी मुझे ताउम्र महसूस हो। पर मुझे इस बात का फर्क है कि सबेके कल्याण के लिये समर्पित महामानव का स्नेह, अपनत्व व आशीर्वाद मुझे सदैव मिलता रहा। ओम शांति ओम

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